• April 23, 2025 11:50 pm

    जब संसद के सामने चली थी गोलियां

    ByHimanshu Papnai

    Apr 3, 2025 #INDIA
    जब संसद के सामने चली थी गोलियांल 1947 को संविधान सभा की बैठक चल रही थी उस समय पंडित ठाकुरदास , गोविंददास और रघुवीर ने संविधान में गौ हत्या पर पूर्ण तरीके से प्रतिबंध लगाने को कहा था उन्होंने कहा था "गाय हमारी माता है संविधान में को हत्या पर प्रतिबंध लगाया जाए" लेकिन सामने से जवाहरलाल नेहरू कहते हैं भारत एक सेक्युलर देश होगा धर्म के आधार पर ऐसे कानून नहीं बन सकते ।

    क्या आप जानते हैं कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को श्राप मिला था इंदिरा गांधी जी की हत्या 1984 में हो गई लेकिन किसी संत ने इंदिरा गांधी को पहले ही श्राप दिया था । इस विषय के ऊपर संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े और अधिक से अधिक लोगों को शेयर करें ।


    इंदिरा गांधी को किसने श्राप दिया था


    साल 1947 को संविधान सभा की बैठक चल रही थी उस समय पंडित ठाकुरदास , गोविंददास और रघुवीर ने संविधान में गौ हत्या पर पूर्ण तरीके से प्रतिबंध लगाने को कहा था
    उन्होंने कहा था “गाय हमारी माता है संविधान में को हत्या पर प्रतिबंध लगाया जाए”
    लेकिन सामने से जवाहरलाल नेहरू कहते हैं भारत एक सेक्युलर देश होगा धर्म के आधार पर ऐसे कानून नहीं बन सकते ।
    और गौ हत्या पर प्रतिबंध नहीं लगा।
    1955 में इस विषय के ऊपर दोबारा चर्चा हुई लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने कि अगर गौ हत्या प्रतिबंध लगा तो मैं प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा। 96 वोट इसके विपक्ष में और सिर्फ 12 वोट इसके पक्ष में आये थे
    जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद साधु और हिंदू संगठन एक हो गई और इंदिरा गांधी सरकार पर गै हत्या प्रतिबंध करने पर एकजुट होकर बोलने लग गये।

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    साल 1967 में इंदिरा गांधी ने साधुओं से कहा कि यदि लोकसभा चुनाव 1967 का कांग्रेस जीतेगी तो गो हत्या पर प्रतिबंध लगेगा ।
    साल 1966 में अक्टूबर में महाराष्ट्र के washim साधु एकजुट होकर अपनी बात कह रहे थे कि गो हत्या पर प्रतिबंध लगाना चाहिए धीरे-धीरे पुलिस बल के द्वारा इन सब की एकता को तोड़ने की कोशिश की गई और महाराष्ट्र पुलिस ने गोलियां चला दी ।
    और उस समय महाराष्ट्र में कांग्रेस थी।
    सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 11 लोगों की मौत हुई लेकिन कहीं और मीडिया की जगह से पता चलता है की मात्रा 11 लोगों की मौत नहीं बल्कि इससे ज्यादा मौतें हुई ।
    हिंदू संतों ने यह सोच लिया था कि यह आंदोलन अब नहीं रुकेगा।
    7 नवंबर 1966 गोपाल अष्टमी के दिन swami karpatri maharaj के साथ स्वयंसेवक संगठन जैसे समस्त हिंदू संगठन साथ हो गये करीब 1 लाख से ज्यादा लोग दिल्ली में दिल्ली में आ गये इन सभी का एक ही लक्ष्य था गै हत्या पर प्रतिबंध लगे। लगातार संत और युवा संसद की तरफ को बढ़ रहे थे पुलिस बल लगातार कोशिश कर रहा था रोकने की लेकिन कुछ समय के बाद पुलिसों के द्वारा गोलियां चला दी जाती है राम मंदिर की अध्यक्ष चंपत राय उस समय बीएससी कर रहे थे और वह इस आंदोलन में थे
    और इंदिरा गांधी की किए हुए इस काम के कारण गुलजारी लाल नंदा मैं अपना इस्तीफा दे दिया लेकिन 50 साल से ज्यादा का वक्त हो गया लेकिन इस घटना के बारे में बहुत ही कम लोगों को पता है
    कांग्रेस ने अपने प्रचार के जरिए इस सच को बाहर नहीं आने दिया
    मनमोहन शर्मा जब वहां पहुंचते हैं तो वह देखते हैं की हर तरफ लाशे बिछी हुई है । 5000 से ज्यादा संत साधुओं को चुपचाप जला दिया गया और बिना किसी रिकॉर्ड के इन्हें जलाया गया। मनमोहन शर्मा जी ने कहा था की मीडिया को पैसे दिए गए थे कि वह क्या न्यूज़ छापे । और 1967 में कांग्रेस सरकार जीत गई 1971 में कांग्रेस अपना चुनावी चिन्ह भी बदलती है और उसके बाद swami karpatri maharaj महाराज इंदिरा गांधी को श्राप देते हैं उन्होंने कहा मुझे इस बात का दुख नहीं की तूने निर्दोष साधु की हत्या कराई बल्कि गो हत्या करने वालों को छूट देकर पाप किया है या माफी के लायक नहीं है गोपा अष्टमी के दिन तेरा भी नाश हुआ और जिस दिन इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी उस दिन गोपाष्टमी ही थी।

    निष्कर्ष

    उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा बताइए की जानकारी आपको समझ में आ गई यदि कोई और जानकारी चाहिए तो ईमेल कीजिए

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