• December 19, 2025 10:33 pm

    विकसित भारत गारंटी रोजगार योजना

    मनरेगा की शरुआत कब हुई थी

    मनरेगा की शुरुआत जिस समय हुई थी, उस दौर में देश की प्राथमिकता भूख, बेरोज़गारी और गरीबी से लड़ना थी। उस समय यह योजना एक सामाजिक सुरक्षा कवच की तरह लाई गई थी, ताकि कोई भी ग्रामीण परिवार भुखमरी की स्थिति में न पहुंचे। लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। अब सरकार का फोकस सिर्फ रोज़गार देने पर नहीं, बल्कि ऐसे काम करवाने पर है जो गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करें, प्राकृतिक संसाधनों को बचाएं और आने वाली पीढ़ियों के लिए टिकाऊ विकास का रास्ता तैयार करें। “विकसित भारत गारंटी रोजगार योजना” का नाम इसी बदली हुई सोच को दर्शाता है।

    एक राष्ट्र, कई लड़ाइयाँ: आपातकाल, ऐतिहासिक केस और भारतीय संविधान की आत्मा की रक्षा का सफर

    AGRICULTURE field officer (AFO) क्या होता है और कैसे बने

    नाम बदलने के पीछे एक बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि सरकार योजनाओं को नकारात्मक या पिछड़ेपन से जोड़कर नहीं देखना चाहती। “मनरेगा” शब्द आज भी कहीं न कहीं गरीबी, मजबूरी और अकुशल मजदूरी की छवि बनाता है। जबकि सरकार अब यह संदेश देना चाहती है कि ग्रामीण भारत सिर्फ मजदूरी करने वाला नहीं, बल्कि देश के विकास की रीढ़ है। नया नाम यह संकेत देता है कि यह योजना गांवों को विकसित भारत का हिस्सा बनाने की गारंटी देती है, न कि सिर्फ न्यूनतम रोज़गार।

    एक अहम बदलाव यह भी हो सकता है कि इस योजना को कृषि और स्थानीय उद्योगों से सीधे जोड़ा जाए। अगर ग्रामीणों को उनके गांव में ही कृषि आधारित प्रोसेसिंग, भंडारण, या छोटे उद्योगों से जुड़ा काम मिलने लगे, तो उनकी आय में स्थायी बढ़ोतरी संभव है। “विकसित भारत गारंटी रोजगार योजना” का उद्देश्य यही बताया जा रहा है कि गांव आत्मनिर्भर बनें और सरकारी सहायता पर उनकी निर्भरता धीरे-धीरे कम हो।

    हालांकि नाम बदलने और योजना में बदलाव को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। कई लोग मानते हैं कि सिर्फ नाम बदलने से ज़मीनी हकीकत नहीं बदलती। असली ज़रूरत यह है कि भुगतान समय पर हो, काम की उपलब्धता बनी रहे और भ्रष्टाचार पर सख्ती से लगाम लगे। अगर “विकसित भारत गारंटी रोजगार योजना” इन समस्याओं का समाधान कर पाती है, तभी यह बदलाव सार्थक माना जाएगा।

    यह भी जरूरी है कि इस योजना में मजदूरी दर को महंगाई के हिसाब से समय-समय पर बढ़ाया जाए। आज भी कई राज्यों में मनरेगा मजदूरी दर न्यूनतम मजदूरी से कम है, जिससे श्रमिकों का रुझान घट रहा है। विकसित भारत की बात तभी सही मायने में होगी जब गांव का मजदूर भी सम्मानजनक आय के साथ जीवन जी सके।

    निष्कर्ष

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Translate »