हम अक्सर देखते हैं कि सनातन हिंदू धर्म 108 संख्या का बड़ा महत्व है वैसे तो सनातन का मतलब है जो चला आ रहा है जिसका कोई अंत नहीं वही सनातन है हमारे सनातन धर्म में चार वेद 27 नक्षत्र ,12 रशियन 108 उपपुराण और 18 पुराण ज्योतिष विद्या जैसी कई महत्वपूर्ण धार्मिक ज्ञान है आज हम आपको बताएंगे कि सनातन धर्म में 108 का क्या मतलब मतलब होता है अक्सर हम देखते हैं कि जब भी हम कोई रुद्राक्ष की माला देखते हैं तो उसमें 108 रुद्राक्ष होते हैं जब भी हम कोई पूजा करते हैं
तो हम बेलपत्र 108 भगवान को चढ़ाते हैं चलिए आपको बताते हैं कि 108 का मतलब क्या है सनातन धर्म में 27 नक्षत्र है वैसे तो पहले 28 नक्षत्र होते थे 28 नक्षत्र अभिजित नक्षत्र होता था लेकिन महाभारत काल में श्री कृष्ण जी ने गीता का उपदेश दिया था वह अभिजित नक्षत्र में दिया था अभिजित नक्षत्र बाद ही शुभ माना जाता है या कुछ समय के लिए आता है और इस नक्षत्र की श्रेणी से बाहर निकाल दिया गया था
सबसे पहले आप जानिए नक्षत्र क्या होता है तारे और चंद्रमा की मेल को नक्षत्र कहते हैं यानी नक्षत्र चंद्रमा की पत्नी होती है नक्षत्र जो आकृति बनाते हैं वही बच्चों के जन्म के समय उसकी राशि होती है यही से निकलता है और यहीं से कुंडली बनती है यह याद रखें कि जब किसी की कुंडली को देखा जाए तो चंद्रमा जहां पर बैठा होगा वहां पर पशु अंक लिखा होगा और वह अंक जिस राशि को दर्शा रहा होगा वह उसे बच्चे की राशि होगी। हर नक्षत्र में चार चरण होते हैं यानी एक राशि में चार नक्षत्र। यदि हम 27 * 4 करें तो हमारा उत्तर निकलता है 108 यानी मनुष्य की जीवन को दर्शा रहा है 108। चलिए अधिक जानकारी के लिए यह आर्टिकल पूरा जरूर पढ़िए।
108 का मतलब क्या होता है
सनातन धर्म में 108 कई विषयों के बारे में जानकारी देता है 108 मात्र सनातन धर्म में किसी एक संख्या को नहीं बल्कि उससे संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियां देता है .
- भगवान शिव जब तांडव करते हैं तो 108 अलग-अलग आकृतियां बनाते हैं
भारतीय नृत्य में 108 प्रकार के नृत्य हैं । - भगवान श्री कृष्ण की 108 गोपिया थी और भगवान श्री कृष्ण जी ने अपने 108 रूप रखी थे
27 नक्षत्र और चार दिशा होती है यदि 27 को 4 से गुणा करें तो 108 आता है - जितना सूर्य से पृथ्वी की दूरी है और सूर्य के व्यास से 108 गुना अधिक है चंद्रमा से पृथ्वी की कितनी दूरी है चंद्रमा की व्यास के 108 गुना अधिक है
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 12 राशियां होती है और नौ ग्रह है और 12 राशियों में हर ग्रह 108 प्रकार से स्थापित हो सकता है
- हिंदू धर्म में 108 उपपुराण है और हिंदू धर्म में 108 शक्तिपीठ है जिनका धार्मिक महत्व है।
मानव जीवन 1 मिनट में 15 बार सांस लेता है इस प्रकार 1 घंटे में 900 बार और 12 घंटे में 10800 बार सांस लेता है
एक दिन 24 घंटे का होता है जिसे 12 और 12 में विभाजित किया गया है इसमें 12 घंटे हमारे दैनिक जीवन के लिए और 12 घंटे भगवान को याद करने के लिए है। हर सांस के साथ भगवान को 10800 बार याद किया जा सकता है लेकिन ऐसा संभव नहीं है इसलिए हमारे धर्म ग्रंथो में 108 बार जाप करने को कहा गया है - हिंदू धर्म में गंगा नदी को पवित्र माना जाता है यदि गंगा नदी की चौड़ाई और लंबाई का आकलन करें तो हम पाएंगे की देशांतर रेखा से 12 डिग्री का कोण बनाती है और रेखांतर रेखा से 9 डिग्री का कोण बनाती है इस प्रकार इन दोनों अंको का गुणा किया जाए तो 108 आएगा
- हिंदू धर्म में नौ संख्या का भी बड़ा महत्व है 9 संख्या ब्रह्मा का प्रतीक माना जाता है यदि 108 संख्या का योग किया जाए 108 (1+0+8=9) तो 9 आता है और यदि आप 9 का टेबल लिखकर आपको यह पता चलेगा कि यदि उन संख्याओं को आपस में जोड़ा जाए तो कुल योग 9 आएगा
- मनुष्य शरीर का तापमान जो आंतरिक होता है वह 108 होता है यदि इतना ही तापमान बाहर कर दिया जाए तो तो शरीर के समस्त शरीर कम करना बंद कर देगा। मनुष्य का शरीर 108 तापमान तक तापमान सहन कर सकता है।
निष्कर्ष
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