अक्सर हम सुनते हैं कि डॉलर मजबूत होता जा रहा है वही रुपया कमजोर होता जा रहा है लेकिन रुपया इतना गिरता क्यों है आखिर क्या कारण है की रुपया इतना गिरता है। क्या कभी ऐसा नहीं हो सकता कि रुपया और डॉलर बराबर हो जाए। आप कई लोग सोच रहे होंगे कि 1 रुपया $100 के बराबर कब होगा अगर रुपया और डॉलर बराबर हो जाए तो कई चीज सस्ती हो जाएगी गाड़ियां सस्ती हो जाएगी फोन सस्ते हो जाएंगे तो ऐसा होता क्यों नहीं चलिए आपको बताते हैं।
लेकिन रुपया और डॉलर को बराबर करना इतना आसान नहीं है हमारे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने कहा था कि रुपया गिरा नहीं है डॉलर मजबूत हुआ है आज आपको इस विषय के ऊपर संपूर्ण जानकारी मिलेगी
रुपया आया कहां से
पहले समय में वस्तु विनिमय होता था यानी मेरे पास गेहूं है और मुझे सब्जी चाहिए तो मैंने आपको गेहूं दिए आपने मुझे सब्जी दी । अब मैं किसी व्यक्ति के पास गया और मैंने उससे कहा कि मुझे सब्जी चाहिए आप इस कॉपी को रख लो तो उसने कहा की कॉपी का मैं क्या करूंगा इस कॉपी की जरूरत मुझे नहीं। और इसमें कई समस्याएं आती थी।
अब आपको कोई गाड़ी लेनी है तो आप कितना गेहूं देंगे सोचिए। उसके इस प्रणाली को हटाया गया और कॉइन सिस्टम आया ।
हड़प्पा सभ्यता से मौर्य या कुशाण सभी में करेंसी चलती रही । रुपए का आज हम प्रयोग करते हैं यह संस्कृत शब्द से लिया है । शेर शाह सूरी काल मैं ही रुपया बहुत ज्यादा प्रसिद्ध होने लगा शेर शाह सूरी ने अपनी काल में जी पद्धति से रुपए को बढ़ाया उसी को अकबर ने भी माना। ऐसे ही सिस्टम को चलाया और मुगलों ने अपने सिक्के बनाये और यह सिक्के और जगह भी बनने लगे।
अकबर के जो सिक्के चले थे उनमें रुपया शब्द भी दिखा ईस्ट इंडिया कंपनी को अपनी चांदी को एक करेंसी में बदलना पड़ा जिसे हर जगह स्वीकार किया जाए 17वीं शताब्दी के अंत और 18वीं शताब्दी की शुरुआत में कंपनियों ने मुगल करेंसी बहुत प्रसिद्ध बना दिया इसे श्रीलंका और इंडोनेशिया में निर्यात किया जाने लगा। और इसका प्रचलन स्थानीय निवेश में होने लगा 19वीं शताब्दी में यूरोप शक्ति ने अपनी श्रम को आगे बढ़ाने के लिए उपनिवेशन को बढ़ाने के लिए रुपया शुरू किया क्योंकि रुपया पहले से ही यूरोप की तटीय क्षेत्र में पहले से ही परिचित था। और धीरे-धीरे हर कोई अपनी करेंसी बनने लगता है।
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डॉलर इतना मजबूत कैसे हुआ इसे जानते
आजादी से पहले भारत में ब्रिटिश का शासन था यानी ब्रिटिश की वैल्यू भारत के साथ जुड़ चुकी थी अर्थात ब्रिटिश की करेंसी यदि अच्छी तो भारत का रुपया भी अच्छा। और उस समय अमेरिका का डॉलर रुपए से जुड़ा था यानी $1 कितने गोल्ड के बराबर है। 1930 के दशक में जब महामंदी आई तो पूरे विश्व की आर्थिक स्थिति खराब हो गई और भारत की आर्थिक स्थिति को भी बहुत नुकसान सुना पड़ा उपनिवेश होने के कारण इस दोहरी नुकसान करना पड़ा क्योंकि 1930 में द्वितीय विश्व युद्ध भी चल रहा था 1944 में सम्मेलन होता है BRETTON woods conference। उस समय अमेरिका की इकोनॉमी दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गई थी अमेरिका ने खुद को सुपर पावर के रूप में बना दिया और जब इतने गोल्ड में इतना डॉलर मिलेगा चलता था तो अमेरिका ने कहा कि चाहे गोल्ड लो चाहे डॉलर को बाद एक ही है। भारत की करेंसी ब्रिटिश पाउंड से होकर डॉलर तक जुड़ी हुई थी साल 1947 में एक पाउंड ₹13.37 के बराबर होता था और $1 ₹4.16 के बराबर होता था।पाउंड महंगा था
कोई देश अपनी करेंसी को गिरता क्यों है
दुनिया के UNअंदर 193 कंट्री है और उनकी अपनी करेंसी भी है डॉलर और रुपए को कौन निर्धारित करता है आपको यह भी बताएंगे ₹1 कितने डॉलर के बराबर है इसे एक्सचेंज रेट कहते हैं
यह तीन प्रकार की होती है
- Floating and managed exchange rate
- Fixed exchange rate
- Puremanaged exchange rate
चलिए उससे पहले आपको बता देती है कि रुपए और डॉलर बराबर क्यों नहीं होते है
माना कोई देशA यह है और कोई देश B है अपने इन दोनों देशों को ₹100 दिए आप आपने कहा कि इससे कुछ अच्छा करके दिखाओ।
देशA ₹100 की 100 आम के पौधे लगाए और देश ने B भी यही किया
और देश ने B जो आम हुए उनके बीज से और आम की पौधे लगा दिए और धीरे-धीरे आम की प्रोसेसिंग करने लग गया देश A उन आम को खत्म कर दिया । यानी देश भी एक अच्छी अर्थव्यवस्था बन गया क्योंकि उसने अपने ₹100 से बहुत बड़ी इकोनॉमी बगता गया।
यानी किसी देश में उस धन से वह कितनी चीज खरीद सकता है इस आधार पर होता है करेंसी की पावर। यानी भारत में ₹100000 में वह कितनी चीज खरीद सकता है और अमेरिका में ₹100000 में वह कितनी चीज खरीद सकता है इस पर पता चलता है कौन करेंसी कितनी मजबूत है
यानी रुपया गिर रहा है इसका मतलब है कि लोगों को डॉलर पसंद आ रहा है लोग डॉलर की ओर को जा रहे हैं जो अमेरिका का मार्केट बढ़ रहा है इसे कहा जाता है Floating and managed exchange rate
Fixed exchange rate मैं कोई देश खुद से निर्धारित कर देता है कि मेरा कोई रुपया इतने का बिकेगा मेरे ₹1 की कीमत इतनी होगी इराक सऊदी जैसे देशों ने अपनी करेंसी को निर्धारित किया है
भारत अपनी करेंसी को नीचे रखना है भारत ने 1949 में 1966 में और 1991 में खुद से रुपए को गिराया है कि हम एक रुपए में इतना डॉलर कर देंगे जिनके पास डॉलर है वह निवेश करें और डॉलर की जरूरत हमें इसलिए है क्योंकि पूरे विश्व में डॉलर चलता है। अमेरिका 29 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था है और हम 3.5ट्रिलियन पर बैठे हैं वह एक डेवलप्ड देश हैं । और डॉलर भारत को चाहिए तो भारत को अपना सामान अमेरिका को बेचना पड़ेगा और अपनी सर्विस देने के लिए हमेशा रुपया डॉलर से कम रखते हैं ताकि भारत में निवेश हो सके और भारत में डॉलर आ सके ।
निष्कर्ष
उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा बताई गई जानकारी आपको समझ में आ गई होगी यदि कोई सवाल है कमेंट करें
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