कृषि का क्षेत्र भारत के विकास में अपना एक अहम योगदान दे रहा है भारत सरकार लगातार नई-नई योजनाएं कृषि के क्षेत्र में निकल रही है वही युवा अभी कृषि के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं भारत जहां पहले अधिक से अधिक कीटनाशकों का प्रयोग होता था और ज्यादा खाद का प्रयोग होने से मिट्टी की उर्वरक क्षमता लगातार काम हो रही थी जिसके कारण किसानों को लगातार कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता था कृषि के क्षेत्र से जुड़ी कई समस्याएं समय-समय पर आती रहती है और उनके निवारण के लिए भारत सरकार नई-नई योजनाएं भी बनती है भारत सरकार कृषि के क्षेत्र में लगातार विकास कर रही है कृषि शिक्षा योजना ,प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी कई योजनाएं भारत सरकार समय-समय पर निकलती रहती है| वहीं न्यूनतम समर्थन मूल्य भी सरकार किसानों के लिए निकलती रहती है अभी कुछ वक्त पहले प्राकृतिक खेती का अभियान भारत में चलाया जा रहा है और किसानों को भी इसके बारे में बताया जा रहा है |
प्राकृतिक कृषि करने से मिट्टी की उर्वरक क्षमता बेहतर होती है जहां खाद के इस्तेमाल करने से लगातार मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो रही है वहीं प्राकृतिक खेती करने से मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और उर्वरक क्षमता के अच्छे होने से फसल भी अच्छी होती है जहां खाद लेने से किसानों को ज्यादा पैसे लगाने होते हैं वहीं प्राकृतिक खेती करने से किसानों को कम पैसे लगाने होते हैं इस जीरो बजट फार्मिंग की भी कहते हैं क्योंकि इसमें आपको बहुत ही काम लगाना पड़ता है इसलिए आज हम आपको जीरो बजटिंग या प्राकृतिक खेती के ऊपर समस्त जानकारी देंगे और इस तकनीक को किसानों तक पहुंचाने के लिए हमारे साथ आर्टिकल को शेयर जरूर करें
प्राकृतिक खेती क्या है
प्राकृतिक खेती का मतलब है कि आप उसमें किसी भी प्रकार की मशीन और किसी भी प्रकार के रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करते हैं प्राकृतिक खेती में प्राकृतिक तत्वों तथा जीवाणुओं की उपयोग से खेती की जाती है
प्राकृतिक खेती करने के लिए आप चार विकल्पों का प्रयोग कर सकते हैं
प्राकृतिक खेती के बारे में सुभाष पालेकर 1970 में इस खेती की शुरुआत करी और इनका जन्म महाराष्ट्र में 1944 में हुआ था
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प्राकृतिक खेती को जीरो बजट खेती क्यों कहते हैं
प्राकृतिक खेती को जीरो बजट खेती इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें आपका बजट बहुत ही कम लगता है
फसल में खाद डालने से नुकसान क्या है
- फसल में खाद डालने से फसल की उर्वरक क्षमता खराब हो जाती है जिसके कारण फसल अच्छी नहीं होती है
- खाद लेने में किसानों का खर्च ज्यादा होता है
- खाद वाली फैसले हमारे जीवन के लिए उत्तम नहीं होती है
निष्कर्ष
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