• Sun. Dec 22nd, 2024

    विक्रम संवत क्या होता है।(What is Vikram Samvat)

    क्या आप विक्रम संवत के बारे में जानते हैं अगर आप नहीं जानते हैं तो चिंता मत कीजिए क्योंकि हम आपको पूरी जानकारी देंगे विक्रम संवत के बारे में .विक्रम संवत की शुरुआत कैसे की गई चलिए इस आपको सरल भाषा में आज बताएंगे विक्रम संवत के जरिए ही किसी की शादी कोई शुभ मुहूर्त निकाला जाता है यानी विक्रम संवत हिंदू कैलेंडर का नाम है विक्रम संवत के बारे में आज हर किसी को पता होना चाहिए क्योंकि यह हमारी संस्कृति है और यह हमारा हिंदू कैलेंडर का नाम है जब भी हम कोई शुभ कार्य करते हैं तो हम मुहूर्त देखते हैं तो जो मुहूर्त निकाला जाता है और विक्रम संवत के जरिए ही निकल जाता है आज हम अंग्रेजी कैलेंडर तो पढ़ रही है लेकिन हम लगातार विक्रम संवत को भूलते जा रहे हैं इसलिए हमें क्यों याद रखते हुए विक्रम संवत कैसे बना इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए

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    विक्रम संवत की शुरुआत कैसे की गई

    विक्रम संवत की शुरुआत उज्जैन के महाराजा विक्रमादित्य ने शुरू करी जब उज्जैन में शकों का राज हुआ करता था और इन्होंने चलाया शक संवत बाद में . शकों के अत्याचार से जनता परेशान थी और विक्रमादित्य ने शकों को मार भगाया और विक्रम संवत की शुरुआत की गई .यदि आपको विक्रम संवत निकालना है तो आप अंग्रेजी कैलेंडर में जो साल चल रहा है उसे साल में 57 जोड़ दें तो वह साल निकलेगा जो विक्रम संवत के अनुसार चल रहा है यानी अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल आगे चल रहा है हमारा हिंदू कैलेंडर .

    2024 + 57 = 2081

    हिंदू कैलेंडर के अनुसार हिंदुओं का नया साल चैत्र प्रतिपदा एक तिथि को बनाया जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि इस माह से नई फसल का आरंभ होता है हरियाली आती है इसी माह में भगवान श्री राम का जन्म भी हुआ था इसी माह में नवरात्रि भी आती है इसलिए हिंदी कैलेंडर में नया साल चैत्र एक तिथि को बनाया जाता है .चैत्र प्रतिबद्ध को बनाया जाता है

    शक संवत कैसे निकाले

    भारत सरकार शक संवत के जरिए अपना कार्य करती है यानी भारत सरकार ने शक संवत को मान्यता दे रखी है यदि आपको शक संवत निकालना है तो २०२4-78= 1946

    विक्रमादित्य के बारे में कुछ अद्भुत जानकारियां

    विक्रमादित्य को सिंहासन इंद्रदेव ने दिया था जिसमें 32 श्रापित अप्सराय लगी हुई है जो राजा विक्रमादित्य के न्याय को अपने आंखों से देख रही है विक्रमदित्य के दरबार में उनके नवरत्न भी हुआ करते थे जिनके पास अद्भुत ज्ञान होता था।

    निष्कर्ष

    उम्मीद करता हूं हमारे द्वारा बताई गई जानकारी आपको समझ में आ गई होगी यदि आपके पास कोई सवाल है तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं या हमें ईमेल भी कर सकते हैं और हमें अवश्य बताएं हमारे ईमेल पता आपको नीचे दिया गया है।

    Mysmarttips.in@gmail.com

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