नमस्कार दोस्तों Best My Smart Tips Blog में आपका स्वागत है आज के वक्त में हमें किसी विषय के ऊपर कोई जानकारी चाहिए होती है तो हम गूगल में सर्च करते हैं लेकिन आजकल गूगल में सच हो रहा है कंधार हाईजैक के बारे में . लेकिन क्या आपको कंधार हाईजैक की कहानी पता है कि कंधार हाईजैक के दिन हुआ क्या था क्योंकि आजकल कंधार हाईजैक के ऊपर एक वेब सीरीज आई है इसके बारे में लोग जानकारी पाना चाहते हैं यदि आप भी कंधार हाईजैक के बारे में जानकारी पाना चाहते हैं तो हमारी इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें अधिक से अधिक लोगों को शेयर करें ताकि हर कोई कंधार हाईजैक के बारे में जानकारी प्राप्त कर कर सके .
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!कंधार हाईजैक क्या है
साल 24 दिसंबर 1999 में एक हवाई जहाज जो कि नेपाल की त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट काठमांडू से दिल्ली इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए उड़ा था. काठमांडू से इस हवाई जहाज ने दिल्ली के लिए आना था लेकिन यह लाहौर के लिए चली गई और लाहौर में पाकिस्तान ने हवाई जहाज को तेल भरने की इजाजत नहीं दी
फिर यह हवाई जहाज इंडिया आता है और इंडिया के अमृतसर में तेल भरता है उसके बाद यह अफगानिस्तान के काबुल मैं उतरना चाहती थी लेकिन वहां लाइट नहीं थी उसे वक्त अफगानिस्तान में तालिबान का शासन चलता था उसके बाद यह वहां से दुबई चले गए दुबई में इस हवाई जहाज को उतने दिया और यह हवाई जहाज जब वहां उत्तर ने दिया एक मनुष्य को जो मर गया था उसे दुबे ने उतार दिया उसके बाद यह हवाई जहाज कंधार जाता है तो वहां भारत सरकार से बात की जाती है और कुछ आतंकवादियों को छोड़ने के लिए कहा जाता है इस के ऊपर पूरी जानकारी हम देने वाले हैं कि कंधार हाईजैक आखिर था क्या ? इसलिए इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़िए
कंधार हाईजैक विमान संख्या IC-814 भारत के इतिहास में एक दुखद घटना थी और इस पर लगातार चर्चा चलती रहती है यह बात है 24 दिसंबर 1999 की जब इंडिया में एलाइंस से एक एक फ्लाइट IC 814 नेपाल के लिए काठमांडू से दिल्ली भारत के लिए निकलता है इस विमान में 176 यात्री सवार थे और पांच आतंकवादियों ने इस हवाई जहाज को हाईजैक कर दिया इन यात्रियों के ऊपर बंदूक तान दी. जब भारत को यह पता चला कि यह विमान हाईजैक हो गया है तो पूरे देश की सांसे अटक गई थी और पूरे विश्व में इस विषय के ऊपर चर्चा चलने लग गई
इस हवाई जहाज को आना तो दिल्ली था लेकिन यह लाहौर को की ओर को गया भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार से कहा कि आप इस हवाई जहाज को उतारने दे लेकिन पाकिस्तान ने इसे उतारने नहीं दिया। क्योंकि पाकिस्तान ने इसे इसलिए नहीं उतरने दिया कि भारत का इस हवाई जहाज को उतारने इसलिए नहीं दिया की बाद में भारत पाकिस्तान के ऊपर आरोप लगाएगी कि यह पाकिस्तान ने किया है कर तो यह पाकिस्तान ने ही था पाकिस्तान बस दिखावा कर रहा था। दोबारा वह हवाई जहाज भारत की सीमा में आया 30 मिनट रुक और भारत की रक्षा मंत्रालय उस हवाई जहाज का कुछ नहीं कर पाई।
उसके बाद वह फिर लाहौर गया और वहां रुका वहां उसने तेल डाला गया उसके बाद वह काबुल अफगानिस्तान के लिए चला गया अफगानिस्तान जाने के बाद काबुल और कंधार में रात के वक्त लाइट नहीं होने से यह वहां नहीं रुक उसके बाद यह दुबई गया और दुबई में 25 यात्रियों की रिहाई हुई और एक यात्री रुपिन को इन्होंने मार दिया
और फिर 25 दिसंबर 1999 को इससे वहां से उड़ाया जाता है और यह कंधार अफ़ग़ानिस्तान पहुंचता है उसके बाद भारत के अधिकारियों से पैसेंजर की लड़ाई के लिए कुछ मांग की जाती है जिन्होंने इस हवाई जहाज को हाईजैक किया था उन्होंने 35 आतंकवादियों को छोड़ने की मांग की थी और 20 करोड डॉलर की मांगी थी लेकिन भारत सरकार ने 20 करोड डॉलर तो नहीं दिए और 35 आतंकवादियों को छोड़ने के लिए भी मना किया गया उसके बाद मात्र तीन आतंकवादियों को भारत सरकार ने छोड़ने का निर्णय लिया। उसे वक्त अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी और देश तीन आतंकवादियों को छोड़ने के लिए मंजूर हो गया था। कंधार में इन तीन आतंकवादियों को ले जाया जाता है और वहां उन्हें शॉप दिया जाता है कहां गया कि भारत अपने यात्रियों को बचाने के लिए आतंकवादियों के सामने झुक गया और इससे आतंकवादियों के विचार और बड़े होंगे और यह बात सच निकली क्योंकि मसूद अजहर, भारत में कई आतंकवादी घटनाएं जैसे पुलवामा अटैक किया था यह तीन आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर, अहमद , और सईद शेख को कंधार ले जाकर इन्हें शॉप दिया गया।
31 दिसंबर को पैसेंजरों की रिहाई होती है और यही मसूद असर 2001 में जे के मोहब्बत नाम का आतंकी संगठन चलता है जसवंत सिंह उसे वक्त भारत के विदेश मंत्री थे और वह खुद अपने साथ तीनों आतंकवादियों को कंधार ले गई थी जब हमने इन आतंकवादियों को छोड़ा तो भारत की विदेश में चर्चा होने लग गई कि भारत को आतंकवादी नहीं छोड़ते थे उसके बाद भारत में कई अटैक हुए थे कई आतंकवादी घटनाएं बड़ी थी पार्लियामेंट पर अटैक मुंबई अटैक पुलवामा अटैक सभी अटैक इस घटना के बाद हुए थे 2001 में पार्लियामेंट अटैक हो या पुलवामा अटैक हो सब इसी ने किया था। और आज दोबारा यह घटना इंटरनेट में चर्चा चल रही है क्योंकि इस विषय के ऊपर एक वेब सीरीज आई है और दोबारा इस पर लोग चर्चा करने लग गए हैं
निष्कर्ष
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