नमस्कार दोस्तों Best My Smart Tips Blog में आपका स्वागत है। आज के वक्त में हर कोई अपनी कुंडली को पंडित को दिखाता है और जब कोई पंडित किसी कुंडली को देखकर किसी व्यक्ति को यह बताता है कि तुम्हारी कुंडली में कालसर्प योग है ? तो वह व्यक्ति डर जाता है लेकिन कालसर्प योग क्या होता है और कालसर्प योग से लोग इतना क्यों डरते हैं ? कालसर्प योग कैसे आप अपनी कुंडली में देख सकते हैं और कालसर्प योग आपके जीवन में क्या-क्या परेशानी लेकर आता है इन सभी विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी और सरल भाषा में आपको आज के इस आर्टिकल मिलेगी ।
हम लोग लगातार कुंडली के विषय में आपको जानकारी दे रहे हैं और हमारा यही कर्तव्य रहता है कि हम आपको कुंडली से संबंधित छोटी सी लेकर बड़ी जानकारी बहुत ही सरल भाषा में उपलब्ध कराये ।क्रि यदि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आए तो आप कमेंट करके अवश्य बताएं और अधिक से अधिक लोगों को शेयर करें |
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कालसर्प योग क्या है
भृगु संहिता एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें ज्योति संबंधी समस्त जानकारियां उपलब्ध कराई गई है इस ग्रंथ की रचना ऋषि भृगु ने की थी और इसमें सूत्र अध्याय 5583 जिसमें पितृ दोष के बारे में संपूर्ण जानकारी मिलती है और इसी को सामान्य भाषा में कालसर्प दोष कहा जाता है
जब आपकी कुंडली में समस्त ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाएं तब यह कालसर्प दोष आपकी कुंडली में बनता है ज्योतिष में इस दोष को बुरा माना जाता है लेकिन कभी-कभी यह दोष अच्छा फल भी प्रदान करता है
ज्योतिष में राहु को सर्प का मुंह और केतु को सर्प की पूंछ कहा गया है। राहु का जन्म का भरणी नक्षत्र में । और केतु का जन्म अश्लेषा नक्षत्र में हुआ था जिसके देवता कला एवं सूर्य है ।
राहु को शनि का रूप और केतु को मंगल ग्रह का रूप माना गया है राहु मिथुन राशि में उच्च का तथा धनु राशि में नीचे का माना जाता है। राहु के आर्द्रा, स्वाति और शतभिषा है राहु प्रथम द्वितीय चतुर्थ पंचम सप्तम अष्टम नव और द्वादश भाव मैं किसी भी राशि का इन भावों में बैठा हो तो उस व्यक्ति को मानसिक ,बौद्धिक और परेशानियां उठानी पड़ती है। राहु और केतु छाया ग्रह है जो एक- दूसरे से सातवें घर में होते हैं उदाहरण के लिए अगर केतु मेष लग्न में बैठा है तो राहु सातवें भाव यानी तुला में बैठा होगा
राहु और केतु शनि की तरह ही क्रूर ग्रह है और शनि की तरह ही विचार रखने वाले होते हैं कालसर्प योग में त्रिक भाव एवं अष्टम भाव और द्वितीय भाव में राहु की उपस्थित होने पर व्यक्ति को विशेष परेशानियों का सामना करना पड़ता है परंतु ज्योतिष के समाधान से इन परेशानियों को थोड़ा काम किया जा सकता है
कालसर्प दोष के लक्षण
कालसर्प से पीड़ित होने पर व्यक्ति को कठिन मेहनत करने के बाद भी सफलता में काफी देरी होती है
व्यक्ति के जीवन में हमेशा मानसिक कष्ट बने रहते हैं
पीड़ित व्यक्ति के घर में कलेश बना रहता है
व्यक्ति की अचानक से पुराने और गुप्त शत्रु बनने लग जाते है
काल सर्प दोष होने पर व्यक्ति को संतान प्राप्त करने में कई रूकावट आती है
काल सर्प दोष होने पर व्यक्ति के विवाह में देरी होती है
कालसर्प दोष में व्यक्ति या व्यक्ति के परिवार वाला किसी लंबी बीमारी से पीड़ित हो सकता है
पीड़ित व्यक्ति दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है
व्यक्ति को रोजगार में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है
पीड़ित व्यक्ति के द्वारा किए जाने वाले मांगलिक कार्य में प्रावधान उत्पन्न होने लग जाती है
पीड़ित व्यक्ति को अकाल मृत्यु जैसी समस्याएं या भूत प्रेत जैसी समस्याएं का सामना करना पड़ सकता है
एक ही विचार बार-बार आना ,कार्य में रुकावट का आना ,रोजगार में परेशानी आना, और किसी कार्य में मन नहीं लगा कालसर्प दोष के लक्षण हो सकते हैं।
कालसर्प योग मुख्य तौर पर 12 प्रकार के होते हैं यदि आपको इस विषय के ऊपर जानकारी चाहिए तो आप कमेंट करके बताएं हम आपको इस विषय के ऊपर भी जानकारी प्रदान करेंगे
कालसर्प दोष को कम कैसे करें
कालसर्प दोष को कम करने के कई उपाय ज्योतिष में बताए गए हैं काल सर्प दोष को कम करने के लिए। किसी भी शिव मंदिर में जाकर कालसर्प दोष को कम करने के लिए पूजा की जा सकती है।
महाशिवरात्रि ,नाग पंचमी ग्रहण आदि के के दिन चांदी के नाग नागिन की जोड़े और नवनाथ स्त्रोत का जाप करें नवनाग स्रोत इस प्रकार है
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम् ।
शङ्खपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा ॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम् ।
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः ॥
इसका मतलब है अर्थात नागदेव की सुगंधित पुष्प और चंदन से ही पूजा की जानी चाहिए क्योंकि नागदेव को खुशबू प्रिय है और इस मंत्र का उपयोग करने से सर्प दोष भी दूर हो जाती है यह मंत्र है
ॐ कुरुकुल्ये हूँ फट स्वाहा’
शुभ फल भी प्रदान करता है कालसर्प योग
अगर कालसर्प योग के दूसरे पक्ष पर नजर डाली जाए तो यह जिस व्यक्ति की कुंडली में क्या योग होता है वह विलक्षण प्रतिभा और कई गुणों वाले भी होते हैं
राहु जिनकी कुंडली में अनुकूल फल देने वाला होता है उन्हें कालसर्प योग में महान उपलब्धियां प्राप्त होती है जिस प्रकार शनि की साडेसाती व्यक्ति से बहुत परिश्रम करती है और उसके अंदर की गलतियों को सही करने के लिए परिश्रम करती है ठीक उसी प्रकार कालसर्प योग भी व्यक्ति को संघर्ष और एक कार्य मे जुट जाना प्रेरित करता है यह योग राजयोग भी देता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में होता है और लगातार वह परिश्रम करता है तो सफलता उससे मिलती है यह कुंडली में कहीं ऐसी व्यक्तियों की उपस्थित था जो आज बहुत ऊंचे स्तर पर है उदाहरण के लिए धीरूभाई अंबानी ,इंदिरा गांधी, राजीव देसाई ,सचिन तेंदुलकर ,पंडित जवाहरलाल नेहरू और लता मंगेशकर आदि।
जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग है वह व्यक्ति पहले किसी पंडित से इस विषय के ऊपर समस्त जानकारी प्राप्त करके पूजा करवा ले।। एक बात को यह ध्यान रखें यह दोष हमेशा खतरनाक नहीं होता है
यह किसका यह हुई पक्ष है की प्राचीन भारतीय ज्योतिष में कहीं भी कल सभी योग के बारे में नहीं लिखा गया है प्राचीन ग्रंथ में यही बताया गया है जब कुंडली में राहु और केतु के बीच में समस्त ग्रह आ जाए लेकिन इसके बारे में संपूर्ण जानकारी हमें कहीं नहीं मिलती इसीलिए इस योग को लेकर कई ज्योतिष पंडितों में चर्चा है लेकिन भृगु संहिता मैं खगोलीय करना ,नक्षत्र के गति की जानकारी दी गई है
निष्कर्ष
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