खत्म हुआ चुनावी रण
अब रिजल्ट की है की है बारी किसके वादों से रूठी जनता
तो कौन रहा सब पर भारी
इस दौर में शामिल है कई धुरदर
किसे देगी जनता दिल्ली की कुर्सी
अबकी बार कौन संभालेगा देश
तय करेगा जनादेश
देश के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल सात चरणों में चुनाव संपन्न हुए मतदान के बाद शुरू होता है परिणाम का दौर उम्मीदवारों की किस्मत आप एवं में कैद है किसके हाथों आएगी सत्ता की कमान और किस मिलेगी हर इस सब का फैसला आज यानी 4 जून को चुनाव आयोग द्वारा होगा किसकी बनेगी सरकार इसका जवाब तो हमें कुछ पलों में मिल जाएगा लेकिन कैसे बनती है सरकार यह सोचा है कभी अपने चलिए आप जानते हैं देश के चुनावी प्रक्रिया और समझते हैं इसके तों पर सात चरणों में लोकसभा चुनाव अब खत्म हो चुके हैं क्या आप यह जानते हैं कि आखिर रिजल्ट के बाद सरकार बनती कैसे हैं थोड़ा बहुत सभी जानते हैं कि जिसे ज्यादा सीट मिलती है उसकी सरकार बनती हैउसकी सरकार बनती है लेकिन अगर किसी पार्टी को इतनी सीट न मिले जितनी सरकार बनाने के लिए जरूरी होती है तो फिर सरकार बनती कैसे हैं इसके अलावा कैसे प्रधानमंत्री चुना जाता है और क्यों सीधे जनता जैसे अपना MLA और MP चुनती है वैसे प्रधानमंत्री नहीं बन सकती है और भारत में पहली बार सरकार कब बनी थी और अब तक इस प्रक्रिया में क्या बदलाव आए।
भारत एक विशाल और विविधता पूर्ण लोकतंत्र है जहां चावन के बाद फोटो की गिनती और सरकार बनाने की प्रक्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण और रोचक होती है सबसे पहले बात करते हैं कि वोटो की गिनती कैसे होती है दरअसल चुनाव खत्म होते ही इंडिया में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन वेरीफाइड पेपर ऑडिट पेपर को सील कर दिया जाता है और उन्हें सुरक्षित जगह पर भेज दिया जाता है इसके बाद प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में निर्धारित गिनती केंद्र होते हैं जहां पर वोटो की गिनती की जाती है यह केंद्र आमतौर पर जिला मुख्यालय में होते हैं गिनती के दिन पहले एवं को सुरक्षा के बीच खोला जाता है और हर एक मशीन के परिणामों को गिन कर संबंधित उम्मीदवारों के खाते में जोड़ा जाता है फिर प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच मतदान परिणाम से किया जाता है यह प्रक्रिया यह पुख्ता करती है कि ईवीएम में गिनती सही है अब सभी एवं और बीवी पद की गिनती पूरा होने के बाद परिणाम घोषित किए जाते हैं और विजेता उम्मीदवारों के नाम सार्वजनिक किए जाते हैं बेशक चुनावी प्रक्रिया पहले की तुलना में आसान भी है लेकिन कई बार मतगणना से पहले देश की राजनीतिक पार्टियों ने एवं की विश्वसनीय पर सवाल खड़ी किए हैं
चुनाव आयोग ईवीएम की सुरक्षा कड़ी रखती है जहां पुलिस पर और केंद्रीय पुलिस बहुत ही कड़ी सुरक्षा करती है
और केवल अधिकृत व्यक्तियों की ही वहां पहुंच संभव है मतदान के बाद एवं स्ट्रांग रूम में रखी जाती है और उनकी सुरक्षा के लिए चुनाव आयोग पूरी तरह से बंद रहता है देश में स्ट्रांग रूम में एवं की सुरक्षा कोई तीन स्तरों पर की जाती है वहां इसकी सुरक्षा के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती रहती है जहां केंद्रीय बल स्ट्रांग रूम के भीतर की सुरक्षा देखते हैं वहीं बाहर की सुरक्षा की कमान राज्य पुलिस वालों के हाथों में होती है इसके साथ ही सुरक्षा की निगरानी जिले के डीएम तथा सपा के हाथों में सौंप जाती है वही जब स्ट्रांग रूम की सीलिंग का वक्त आता है तो उसे दौरान राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहते हैं और इसके साथ ही चुनाव आयोग द्वारा इन प्रतिनिधियों को भी अपनी तरफ से सिम लगाने का अधिकार दिया गया है और इसी स्ट्रांग सुरक्षा के बीच गिनती होती है और यही प्रक्रिया पूरे दिन चलती है और रात तक लगभग सारा रिजल्ट आ जाता है तो रिजल्ट तो आ गया पर अब जानते हैं कि सरकार क्यों नहीं कैसे जाती है सरकार बनाने का दावा करती है

लोकसभा में कुल 543 सिम होती हैं जिनमें से 272 सीटों पर जीतने वाली पार्टी या गठबंधन को बहुमत मिलता है प्रत्येक चुनाव पश्चात राष्ट्रपति बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री बनने हेतु आमंत्रित करते हैं आमंत्रण स्वीकार करने के पश्चात संबंधित व्यक्ति को लोकसभा में मतदान द्वारा विश्वास मत प्राप्त करना होता है इसके बाद विश्वास मत प्राप्ति के आदेश को राष्ट्रपति तक पहुंचाया जाता है जिसके बाद एक समारोह में प्रधानमंत्री तथा अन्य मंत्रियों को पद की शपथ दिलाई जाती है और उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है तो यह पूर्ण रूप से राष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर होता है कि वह किसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद प्राप्त करने हेतु आमंत्रित करें इस विशेषाधिकार का प्रयोग अनेक अवसरों पर विभिन्न राष्ट्रपति कर चुके हैं उदाहरण के लिए 1977 में राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने प्रधानमंत्री मुरारजी देसाई की स्थिति के पश्चात चौधरी चरण सिंह को इसी विशेषाधिकार का प्रयोग कर प्रधानमंत्री नियुक्त किया था जब ऐसी स्थिति होती है तो उसे तृषा त्रिश्कू की स्थिति कहा जाता है इस स्थिति में राष्ट्रपति साधारणता है सबसे बड़े राजनीतिक दल के नेता को लोकसभा में बहुमत सिद्ध करने के लिए आमंत्रित करते हैंलेकिन अगर किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत न मिला हो तो उसे पार्टी में विभिन्न दल मिलकर गठबंधन सरकार बनाने का प्रयास करते हैं यह प्रक्रिया कठिन हो सकती है क्योंकि विभिन्न दलों के बीच समझौता और सहयोग जरूरी होता है
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि एक पार्टी होते हुए भी सरकार बन सकती है यदि उसे अन्य दलों का बाहरी समर्थन मिल जाता है यह समर्थन स्थिर नहीं होता और ऐसी सरकार को विश्वास मत प्राप्त करना होता है और सबसे अंत में यदि कोई भी गठबंधन सरकार बनाने में असमर्थ रहता है तो राष्ट्रपति अपने विवेक से नया चुनाव कराने का निर्णय सकते हैं गठबंधन को बहुमत मिल गया तो प्रधानमंत्री और बाकी मंत्री कैसे बनते हैं तो दोस्तों हमारे भारत देश में प्रधानमंत्री सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक संस्था हैतो दोस्तों हमारे भारत देश में प्रधानमंत्री सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक संस्था है फिर भी प्रधानमंत्री के लिए कोई डायरेक्ट चुनाव नहीं होता राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को नियुक्त करते हैं राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों को पद और भूमिका की शपथ दिलाते हैं पद और भूमिका के शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री और सभी केंद्रीय मंत्री एक संवैधानिक परिपत्र पर दस्तखत करते हैं यह एक बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है जो राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा संरक्षित किया जाता है दर्शन यही देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था का संवैधानिक दस्तावेज होता है जो हमेशा सुरक्षित रहता है प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री शपथ लेने के बाद कैबिनेट और राज्य मंत्रियों में विभाग का बंटवारा करते हैं
इसके बाद संबंधित मंत्री विभाग का विभाग पदभार ग्रहण करते हैं और काम शुरू करते हैं अगर किसी एक पार्टी का प्रधानमंत्री बन जाता है तो बाकी पार्टियों का क्या होता है तो आपको बता दें कि विपक्ष का नेता भी चुना जाता है विपक्ष का नेता बनने के लिए किसी दल को लोकसभा में 10% सिम यानी 545में से कम से कम 55 सिम प्राप्त होनी चाहिए वह लोकसभा स्पीकर से संपर्क करता है और अपनी पार्टी का नेता घोषित होने की मान्यता प्राप्त करता है विपक्ष के नेता को भी शपथ दिलाई जाती है और उन्हें आधिकारिक तौर पर लोकसभा में विपक्ष के नेता का दर्जा प्राप्त होता है 1977 में वैधानिक मान्यता दी गई थी और भी कैबिनेट मंत्री के बराबर वेतन भत्ते और अन्य सुविधाओं की हकदार हैं इसके बाद अगर किसी लोकसभा का अध्यक्ष नवनिर्वाचित लोकसभा की पहली बैठक से ठीक पहले अपना पद खाली कर देता है
तो राष्ट्रपति लोकसभा के सदस्य को प्रोटेम स्पीकर के रूप में नियुक्त करता है प्रम एक लैटिन वाक्यांश है जिसका अर्थ होता है कुछ समय के लिए आज के अनुरोध की प्रोटेम स्पीकर पर एक अस्थाई स्पीकर होता है जिसे सीमित अवधि के लिए ही नियुक्त किया जाता है दिलचस्प बात यह है कि संविधान में प्रोटेम स्पीकर शब्द का स्पष्ट रूप से उपयोग नहीं किया गया है वहीं पद के लिए आमस्वतंत्र भारत का पहला चुनाव 1951 -1952 में हुआ था इस चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को भारी बहुमत मिला और जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने यह चुनाव का एक महत्वपूर्ण अध्याय था समय के साथ चुनाव और सरकार बनाने की प्रक्रिया में कई बदलाव आए हैं एवं और बीवी पद जैसी तकनीकों का प्रयोग शुरू हुआ है जिससे मतदान और गिनती की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनी है वहीं दूसरी तरफ देखें दो चुनाव आयोग और न्यायपालिका की भूमिका वही है जिससे चुनाव प्रक्रिया में सुधार और पारदर्शिता बड़ी है गठबंधन राजनीति का उदय हुआ है जिससे सरकार बनाने की प्रक्रिया में जटिलता बढ़ी है सही निर्णय में डिस्कशन बड़ा है दरअसल भारत में चुनाव के बाद वोटो की गिनती और सरकार बनाने की प्रक्रिया लोकतंत्र की मजबूत नहीं है यह प्रक्रिया समय के साथ विकसित हुई है और इसमें कई सुधार और बदलाव आए हैं यह सुनिश्चित करती है कि देश की जनता के मतों का सही मूल्यांकन हो और एक सक्षम और स्थिर सरकार का गठन हो सके
निष्कर्ष
उम्मीद है की जानकारी आपके लिए रोचक और उपयोगी रही होगी यदि कोई सवाल है तो कमेंट करके हमसेपूछे
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