• November 9, 2025 7:57 pm

    भारत में हरित क्रांति की शुरुआत कैसे हुई ?

    भारत में हरित क्रांति की शुरुआत कैसेहुईभारत में हरित क्रांति की शुरुआत कैसेहुई

    13 मई 2022 को जब भारत सरकार ने गेहूं के एक्सपोर्ट पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जिसके कारण विश्व में गेहूं की कीमतों में बहुत भारी उछाल आया जहां पहले ही विश्व रूस और यूक्रेन के युद्ध से गेहूं की कीमत में लगातार उछाल आ रहा था वहीं भारत के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध के बाद कई देश उदाहरण के लिए अमेरिका इस प्रतिबंध को हटाने की बात कहने लगे थे। एक में ऐसा भी था जब भारत के पास गेहूं उत्पादन बहुत कम था और आज भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादन करने वाला देश बन चुका है। इश्क में ऐसा भी था जब अमेरिका से भारत बहुत ही घटिया किस्म का गेहूं खरीदने को मोहताज था। उस समय अमेरिकासे आया हुआ गेहूं इतना बेकार था कि उस शुगर को खाने के लायक भी नहीं समझा जाता था यह किस्म PL480 था लेकिन भारत भी इस खराब गेहूं के लिए मोहताज था और अमेरिका इस गेहूं के लिए भारत को देने में बड़े नखरे करता था लाल बहादुर शास्त्री जी ने भारत के लोगों से एक दिन उपवास रखने को कहा। भारत मैं गेहूं उत्पादन कैसे बढ़ाया गया इसके लिए हरित क्रांति जो लाई गई वह थी क्या । इसके बारे में पूरी जानकारी आज किस आर्टिकल में दी जाएगी।

    हरित क्रांति क्या है


    भारत में 200 साल राज करने करने के वक्त भारत को अंग्रेजों ने खूब लूटा कभी भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था लेकिन एक समय ऐसा आ गया कि भारत में अनाज का उत्पादन बहुत कम होने लग गया सबसे बुरा हाल बंगाल का देखा गया जहां 1943 से 1944 तक भुखमरी 30 लाख से ज्यादा लोगों ने भूख से तड़प कर अपनी जान गवा दी । 1947 में अंग्रेज तो भारत को छोड़कर चले गए लेकिन भारत को ऐसी दशा मत छोड़ गए कि वहां से उभरना भारत के लिए बहुत मुश्किल था आजादी के बाद भारत के पास फूड उत्पादन बहुत ही काम हो गया जब कृषि पर डिपेंड थे भारत के लोग उस वक्त लगातार भारत का उत्पादन गिरता रहा।


    और भारत सरकार के पास भी ऐसा कोई उपाय नहीं था जिससे कृषि का उत्पादन बढ़ाया जा सके ।
    1950 से लेकर 1951 के बीच में भारत में केवल 5 करोड़ टन फूड का उत्पादन हुआ। जो देश की 35 करोड़ की जनसंख्या का पेट भरने के लिए बहुत ही कम था।


    भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी इस स्थिति को जानते थे और उनका मानना था कि भूखे लोग कभी एक महान देश का निर्माण नहीं कर सकते जब भारत में पहली पंचवर्षीय योजना लागू की गई तो उसे समय भारत में कृषि को अहम भूमिका दी गई। अंग्रेजों ने भारत को इस तरीके से लूट की कृषि उत्पादन का रेट 0% पर आकर रुक गया उसे समय कृषि में सिंचाई के लिए भी बहुत कम साधन थे इसलिए भारत सरकार ने कई बात बांध बनाएं। और कृषि की ग्रोथ रेट जो 0 पर रुकी हुई थी वह 3%पर आ गई लेकिन अभी भी स्थिति ऐसी नहीं थी कि पूरे जनसंख्या का पेट भर जाए लगातार भारत में कंपनियां की कमी हो गई

    भारत में हरित क्रांति की शुरुआत कैसेहुई

    इसलिए भारत में कंपनियों को भी विकसित करना बहुत जरूरी हो गया था और भारत सरकार कंपनियों को विकसित करने के लिए काम करने लग गई और भारत सरकार लगातार अनाज बाहर से एक्सपोर्ट करने लग गई 1962 के भारत और चीन के युद्ध भारत के पक्ष में नहीं रहा इसके बाद भारत में और अनाज की कमी हुई नहीं लग गई 1964 में जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हो गई उसके बाद लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने लेकिन 1965 में पाकिस्तान और पाकिस्तान का युद्ध हो गया जिसमें पाकिस्तान हार गया। और पाकिस्तान का साथ अमेरिका दे रहा था उसे समय अमेरिका के टैंकों को भारत ने उड़ा दिया और अमेरिका ने भारत को गेहूं देने के लिए मना कर दिया 3 साल के अंदर ही दो युद्ध में भारत को लगातार कृषि उत्पादन में कमजोर कर दिया। लाल बहादुर शास्त्री ने कहा था जय जवान जय किसान यानी देश की सीमा में जो जो जवान और खेत में जो किसान का मेहनत कर रहा है उनके प्रति सम्मान रखते थे वह कहते थे की किसान और मेहनत करें और उन्होंने कहा था की एक दिन का उपवास रखो लेकिन देश को किसी के सामने झुकने ना दो और 1966 में भारत गेहूं उत्पादन में बहुत ही अच्छा हो गया और उसे अमेरिका से गेहूं लेना बंद कर दिया।


    1954 में अमेरिका के राष्ट्रपति ने पब्लिक लॉ 480 एक प्रोग्राम लॉन्च किया था या प्रोग्राम उन देशों को भेजा जाता है जो जरूरतमंद देश है जहां उत्पादन कम हो रहा है। इसमें भारत भी सम्मिलित था 1959 में अमेरिका के राष्ट्रपति भारत आए और उन्होंने कहा कि भारत को गेहूं अमेरिका भेजेगा । आजादी के बाद ही मानसून भारत का साथ नहीं दे रहा था और भारत अमेरिका से गेहूं लेने पर निर्भर निर्वात था 1964 में भारत में बहुत सूखा पड़ा और भारत को अमेरिका ऑस्ट्रेलिया से भी गेहूं लेना पड़ा और अमेरिका के एक्सपेंड भारत का दौरा किया और उन्होंने कहा 1970 के दशक में लाखों लोगों के भुखमरी का कारण बनेगी लेकिन ऐसा हुआनहीं। लेकिन उसमें भारत बहुत ही बड़ी समस्या से गुजर रहा था लेकिन 1965 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ तब अमेरिका और भारत के बीच दरार आ गई। PL480 गेहूं देकर भारत को रूस से अलग करना चाहता था। इतने खराब गेहूं को खरीदने के बजाय भारत को अपना खुद का उत्पादन बढ़ाना चाहिए यह कहना था जनता का। और लाल बहादुर शास्त्री ने कृषि के बजट को बढ़ा दिया। एमएस स्वामीनाथन ने कृषि के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई कृषि के क्षेत्र में कोई रुचि नहीं थी उनके पिता श्री उन्हें डॉक्टर बनना चाहते थे। कृषि के क्षेत्र में उनकी अहम भूमिका रही 1943 के बाद मेडिकल की पढ़ाई छोड़कर।उन्होंने इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट दिल्ली से पोस्ट ग्रेजुएट करी और कृषि के क्षेत्र में रिसर्च कर रहे थे उसे समय अमेरिका के एक रिसर्च चल रहा था जिसे कर रहे थे Norman borlag

    उन्होंने गेहूं के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई रिसर्च करें प्लांट पैथोलॉजी जिन्होंने करी और इन्होंने दो किस्म pITIC 62 ,PENJAMO 62 उत्पादन किया और इसे मेक्सिको में लगाया और इससे उत्पादन भी बड़ा और और इसमें बीमारियां भी कम लगती है यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हाइब्रिड सीट का प्रयोग किया जाता है इस पर मक्का ज्वार कई चीजों में रिसर्च की गई और इसी पर एमएस स्वामीनाथन इस पर नजर रखे हुए थे अन्य norman बोरलॉग जब यह रिसर्च कर रहे थे और बुलाया गया 1963 में यह भारत आए और इन्होंने रिसर्च किया और इन्होंने भारत में भी कहा कि हाइब्रिड सीड लगाकर यहां का उत्पादन बड़ा जा सकता है।

    किसान हाइब्रिड सेट लगाना नहीं चाहते थे इसलिए एमएस स्वामीनाथन ने इन सीड को स्वयं लगाया और हाइब्रिड सेट मेक्सिको से मंगाएंगे और इन सीटों को लगाने के बाद फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड में सब्सिडी देने उन्होंने गेहूं के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई रिसर्च करें प्लांट पैथोलॉजी जिन्होंने करी और इन्होंने दो किस्म pITIC 62 ,PENJAMO 62 उत्पादन किया और इसे मेक्सिको में लगाया और इससे उत्पादन भी बड़ा और और इसमें बीमारियां भी कम लगती है यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हाइब्रिड सीट का प्रयोग किया जाता है इस पर मक्का ज्वार कई चीजों में रिसर्च की गई और इसी पर एमएस स्वामीनाथन इस पर नजर रखे हुए थे अन्य norman borlag जब यह रिसर्च कर रहे थे

    और बुलाया गया 1963 में यह भारत आए और इन्होंने रिसर्च किया और इन्होंने भारत में भी कहा कि हाइब्रिड सीड लगाकर यहां का उत्पादन बड़ा जा सकता है। किसान हाइब्रिड सेट लगाना नहीं चाहते थे इसलिए एमएस स्वामीनाथन ने इन सीड को स्वयं लगाया और हाइब्रिड सेट मेक्सिको से मंगाएंगे और इन सीटों को लगाने के बाद फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड में सब्सिडी देने लग गई । 1966 मैं लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गई इसके बाद इंदिरा गांधी इस कार्य में आगे बढ़ गई। और अमेरिका के द्वारा जो गेहूं आता था उसमें देरी की जाने लगी और भारत में लगातार हरित क्रांति पर कार्य कर किया जा रहा था और भारत सरकार ने गेहूं पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया सरकार के फैसले के बाद गेहूं का बहुत ही अच्छा उत्पादन होने लगा और गेहूं उत्पादन बढ़ता ही गया और सरकार ने गेहूं को स्टोर करना शुरू कर दिया और पंजाब हरियाणा और उत्तर प्रदेश में लगातार गेहूं उत्पादन बढ़ने लगा और यह राज गेहूं उत्पादन में सबसे ज्यादा होता है 1971 में बांग्लादेश से लोग भारत आने लग गए 1971 में भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ और बांग्लादेश एक देश बना। 29 दिसंबर 1971 को भारत ने अमेरिका से गेहूं लेना माना कर दिया। गेहूं उत्पादन में भारत लगातार बढ़ता रहा और भारत लगातार विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया और लगातार पेस्टिसाइड के इस्तेमाल से मिट्टी के गुणवत्ता कम होने लग गई।

    निष्कर्ष

    हमारे द्वारा बताए की जानकारी यदि आपको समझ में आ गई यदि कोई सवाल है कमेंट करें

    एग्रीकल्चर में भारत कौन से नंबर पर आता है।(What number does India rank in agriculture)

    भारत में भारत में बेरोजगारी दर क्या है?(what is the unemployment rate in india)

    One thought on “भारत में हरित क्रांति की शुरुआत कैसे हुई ?”
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