देवी अहिल्याबाई के विचारों उनके सिद्धांतों और उनकी कथाओं से हमें प्रेरणा मिलती है कि हम दूसरों के लिए कैसे जिए। राजनीति और आध्यात्मिक के संगम को दर्शाती है उनका जीवन। कई दुखों से गुजरने के बाद देश के हित के लिए कार्य करने की सोचने वाली नारी। हिंदुत्व के लिए काम करने वाली नारी शक्ति है अहिल्याबाई । अहिल्याबाई के विचारों को पढ़कर हमें यह पता चलता है कि देश हित के लिए कार्य करना और देश के प्रति कार्य करना और देश के लिए अपने प्राण की चिंता ना करना और दूसरों के लिए जीना ही असली राष्ट्र धर्म ,राष्ट्र प्रेम है आज हम आपको अहिल्याबाई के जीवन से संबंधित संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं कि उनका जन्म कब हुआ इसलिए आप हमारी आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें अधिक से अधिक लोगों को शेयर करें |
देवी अहिल्याबाई जिनके विचारों और जिनके सिद्धांतों और जिनके कथाओं से हमें प्रेरणा मिलती है हमें नारी शक्ति के बारे में पता चलता है उनके चरित्र के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है राजा युधिष्ठिर, राजा नल और रानी अहिल्याबाई पुण्य श्लोक( शुभ चरित्र) की उपाधि दी गई है।
विक्रम संवत 1782 ज्येठ मास कृष्ण पक्ष एकादशी 31 में 1725 ई को अहिल्याबाई का जन्म हुआ था।
अहिल्याबाई होल्कर भारत के मालवा साम्राज्य की होलकर रानी थी उन्होंने 1767 से 1795 अभी तक शासन किया ।
इन्होंने किसी राजघराने में जन्म नहीं लिया लेकिन फिर भी एक दिन उनके हाथ में राज्य की सत्ता आयी। और आज उनका नाम बड़ी सम्मान से लिया जाता है महाराष्ट्र सरकार ने उनके सम्मान में अहमदनगर का नाम बदलकर अहिल्या नगर भी कर दिया।
अहिल्याबाई का विवाह इंदौर राज्य के संस्थापक महाराज मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव होलकर से हुआ था।
1754 में एक युद्ध में खंडेराव होलकर की मृत्यु हो गई और 12 साल के बाद मल्हारराव होलकर कीपिंग की होगी इसके बाद अहिल्याबाई इंदौर के सिंहासन पर बैठी साल 1767 में ।और 1795 में अपनी मृत्यु तक इन्होंने शासन किया।
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उन्होंने अपनी राजधानी को नर्मदा नदी के तट पर स्थित महेश्वर में स्थानांतरित किया अहिल्याबाई एक कुशल प्रशासक और न्यायिक परिषद थी उन्होंने अपने राज्य को आक्रमणकारियों से बचाया और कई जनकल्याण कार्य किये । उन्होंने अपने शासन के वक्त कई मंदिरों कई घाटो कई कुओं और कई धर्मशाला का निर्माण करवाया।- उन्होंने सड़कों का सुधार करवाया और भूखों के लिए अन्न क्षेत्र खोलें उन्होंने कला साहित्य और संगीत को भी प्रोत्साहन दिया।
अहिल्याबाई होल्कर का शासन शांति और समृद्धि का काल था - उन्हें आज भी उनकी बुद्धिमत्ता न्याय प्रियता और जनकल्याण के लिए कार्य योजना किया उन्हें याद करके किया जाता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर का पुन निर्माण उन्हीं के जरिए करवाया गया महेश्वरी साड़ी का उदय अहिल्याबाई जी ने किया । - हमें अहिल्याबाई के विचारों पर चलना है और उनके सिद्धांत क्या थे उनका जीवन कैसे बीता यह हर किसी को याद करना चाहिए।
निष्कर्ष
हमारे भारत में धर्म की रक्षा अगर आप करेंगे तो धर्म आपकी रक्षा करेगा यह बताया जाता है अहिल्याबाई के सिद्धांत पर हमें चलना चाहिए अहिल्याबाई मंदिर बने और उनका जीवन दूसरों के लिए हमेशा बीता हमें अहिल्याबाई के विचारों पर चलना चाहिए ।
काशी विश्वनाथ मंदिर का पूरा निर्माण अहिल्याबाई ने कराया औरंगज़ेब जिसने किसने कई मंदिरों को तुड़वाया कौन मंदिरों का पुनर्निर्माण यदि किसी ने करवाया तो वह अहिल्या बाई थी हमें आज अहिल्याबाई के जीवन को जगह तक हर किसी तक पहुंचाना होगा अहिल्याबाई की जीवन से हमें यह पता चलता है कि दूसरों के लिए कैसे जिया जाए दूसरों के प्रति जिया जाता है और अपने जीवन को देश के प्रति कैसे लगाया जाता है यदि किसी व्यक्ति को दूसरों के प्रति कार्य करने में मजा आ जाए और देश के हित के लिए और सोच तो उसे देश का विकास होना निश्चित है