• April 23, 2025 8:41 pm

    संभाजी महाराज को क्यों छावा कहते हैं ?

    ByHimanshu Papnai

    Mar 18, 2025 #INDIA, #news
    संभाजी महाराज को क्यों छावा कहते हैं ?संभाजी महाराज को क्यों छावा कहते हैं ?

    हम सभी ने अकबर बाबा हुमायूं के बारे में हमेशा सुना करती है लेकिन हमें छत्रपति संभाजी महाराज के बारे में बहुत ही काम इतिहासों के पाटन में देखने को मिलता है छत्रपति संभाजी महाराज जिन्होंने हिंदुत्व के लिए जिन्होंने अपनी प्रजा के लिए अपने अपने प्राण की चिंता भी नहीं करी वे थे छत्रपति संभाजी महाराज ।


    छत्रपति संभाजी महाराज का जन्म 16 में 1657 को हुआ था लेकिन इनका इतिहास हमें कभी नहीं बताया गया बड़े दुख की बात है जब संभाजी महाराज के बारे में कोई नहीं बताता है कई लोग औरंगजेब को महान समझते हैं औरंगज़ेब के बारे में तो हमें पढ़ते हैं शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज के बारे में हमें कहीं नहीं पढ़ाया जाता

    औरंगजेब ने इसे कहा था इस्लाम कबूल कर लो जान बच जाएगी तो शेर के बच्चे ने कहा की औरंगज़ेब तुम मराठा में शामिल हो जाओ तुम्हें धर्म बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी हुए थे वे संभाजी महाराज थे।


    आज हम आपको संभाजी महाराज के बारे में पूरी जानकारी देने वाली इनके जन्म से लेकर उनकी मृत्यु कैसे हुई सभी विषय के ऊपर इसलिए इस आर्टिकल को पूरा जरूर जरुर पढ़िए.

    छत्रपति संभाजी महाराज का इतिहास

    संभाजी महाराज का जन्म 16 मई 1965 को हुआ था उनके पिताजी का नाम छत्रपति शिवाजी था संभाजी महाराज को छावा भी कहते थे यानी शेर का पुत्र।


    हमें औरंगजेब के बारे में तो पढ़ाया जाता है हमें बाबर के बारे में तो पढ़ाया जाता है कि अकबर महान राजा था लेकिन हमें यह नहीं बताया जाता है।

    छत्रपति संभाजी महाराज के पिता का नाम क्या था

    छत्रपति संभाजी महाराज के पिता का नाम महाराज छत्रपति थे महाराज छत्रपति का जन्म 19 फरवरी 1630 को और उनकी मृत्यु 3 अप्रैल 1980 को हो गई थी उनके पुत्रों का नाम संभाजी और राजाराम था.


    छत्रपति संभाजी इनके बड़े बेटे का नाम उनके बड़े बेटे का जन्म 1665 में हुआ था वही उनके छोटे बेटे का नाम राजा राम था जिन्होंने संभाजी महाराज के मृत्यु के बाद महाराज का पद पद संभाला और यह मराठा यानी आज का महाराष्ट्र के राजा बने

    महाराज छत्रपति शिवाजी की आठ आठ शादियां थी बड़ा बेटा जब 2 साल का के थे तो उनकी माता का निधन हो गया छत्रपति शिवाजी के बड़े बेटे संभाजी महाराज की देखरेख उनकी दादी जीजाबाई और उनके पिता शिवाजी मैं बड़े हुए


    जब इनके पिता शिवाजी को औरंगजेब ने कैद कर लिया उसमें यह अपने पिता के साथ ही थे और यह वहां से बच निकलने में कामयाब हुए


    इनके पिता ने इन्हें पढ़ने के लिए एक शिक्षक को नियुक्त किया था शुरू से हे ने संस्कृत पढ़ने में बहुत आनंद आता था इसलिए निम्न संस्कृत में महाभारत हासिल कर ली।

    साल 1670 के दशक में इन्होंने प्रशासनिक कार्यों में अपना हाथ लगाना शुरू कर दिया तब शिवाजी राजा बन गए थे और संभाजी महाराज उत्तराधिकारी के रूप में देखे जाने लगे। लेकिन उनके परिवार में एक क्लेश उत्पन्न हो रहा था


    एक किताबों में एक जिक्र मिलता है शिवाजी की सबसे बड़ी पत्नी सोयराबाई ने 24 फ़रवरी, 1670 एक पुत्र को जन्म दिया था जिसका नाम राजाराम था |


    शिवाजी के राज्याभिषेक के समय राजाराम की उम्र 4 साल की थी उनकी बड़ी पत्नी चाहती थी की संभाजी महाराज की जगह पर राजा राम को उत्तराधिकारी बनाया जाए और उनकी 6 बेटियां भी थी।

    संभाजी ने अपने पिता का साथ छोड़ा

    कई किताबों में हमें इस बात का चित्र देखने को मिलता है 1676 में शिवाजी बड़े बीमार हो गई तब दक्षिण के कुछ राज्यों में एक अफवाह फैली कि शिवाजी का निधन हो गया।


    और यह अफवाह चारों तरफ फेल्स गई तब संभाजी महाराज के बारे में भी कुछ गलत शब्द बोले जा रहे थे 1674 मैं जब शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ तो संभाजी महाराज के लिए बुरे आचरण जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाने लगा कहा ऐसा जाता है की सौतेली मां यानी सोयराबाई का हाथ इसमें था ताकि वह संभाजी नजरों में गिराया जा सके


    साल 1674 में उनकी दादी का निधन हो गया उनकी दादी का नाम जीजाबाई था 13 दिसंबर 1678 यह अपना गांव छोड़कर यानि सतारा को छोड़कर पेड़गाँव चले गए और मुगलों के गवर्नर दिलेर ख़ान था और उसे समय संभाजी महाराज की उम्र 21 साल की थी

    क्या कारण था कि उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा


    उन्हें अपना घर छोड़ना क्यों पड़ा जब इसके बारे में किताबों में हम देखते हैं या यह कहीं हमें उसे बात का पता चलता है तो हम यह सब पता चलता है मुगल गवर्नर ने युवा राजकुमार के दुखों को पढ़ लिया था और मुगल गवर्नर ने उसे समय संभाजी महाराज से कहा था की रायगढ़ ने तुम्हारा अपमान किया है
    हाथी पर सवार कर संभाजी महाराज जब बहादुरगढ़ किले में घुसे तो उसे किले में मौजूद लोगों ने उनका स्वागत किया मुगल गवर्नर जिसकी उम्र 40 साल थी संभाजी महाराज की उम्र 21 साल की थी और युवा राजकुमार से एक दोस्ताना व्यवहार कर रहे थे

    मुगल सोच रहे थे कि उन्हें एक बड़ी उपलब्धि मिल रही है लेकिन बहुत जल्द गवर्नर और समाज जी महाराज के बीच मतभेद होने लग गए

    जब अप्रैल, 1679 में दिलेर ख़ान ने भूपलगढ़ किले पर हमला किया और उसमें कब्जा कर लिया और वहां की स्थानीय लोगों के साथ बड़ा बेकार व्यवहार किया जो उसे किले में जीवित जीवित लोगों के हाथ पर कटवा दिए और उन्हें छोड़ दिया ।


    मुगल गवर्नर ने आदिल शाही के खिलाफ अपना एक अभियान चलाया आदिल शाही के जनरल सिद्दी मसूद ने बीजापुर की रक्षा के लिए शिवाजी जी से सहायता मांगी


    और तुरंत 10000 घुड़सवार और अनाज भिजवाए गए और मुगलों के इलाकों पर कब्जा कर दिया गया
    बाद में मुगल के द्वारा जो व्यवहार किया जा रहा था लोगों पर उन्हें पसंद नहीं आ रहा था और उन्होंने मुगलों का साथ छोड़ दिया

    संभाजी महाराज की घर वापसी


    “20 नवंबर, 1679 संभाजी अपनी पत्नी के साथ यशुबाई मुगल शिविर से भाग निकल गये उनकी पत्नी ने पुरुष का वेश बनाया था
    अगले दिन बीजापुर पहुंचते हैं और इनका स्वागत किया जाता है उनके पिता ने का स्वागत किया शिवाजी महाराज से मिले और उनके बीच की दरार समाप्त समाप्त हुई बाद में इन्होंने अपने राज्य के दो टुकड़े किए एक टुकड़ा अपने बड़े बेटे को और एक टुकड़ा अपने छोटे बेटे को दिया बड़े बेटे को ।


    तुंगभद्र से कावेरी तक और दूसरा तुंगभद्र के दूसरी ओर जो गोदावरी नदी तक जाता है ।मैं तुम्हें कर्नाटक का इलाका देता हूँ और बाकी इलाका में अपनी छोटे बेटे राजाराम को देता हूं


    3 अप्रैल 1680 को शिवाजी का देहांत हो जाता है उसे समय शिवाजी 50 साल के थे इनके बेटी संभाजी को इसके बारे में जानकारी नहीं दी जाती है जब संभाजी महाराज को इस बात का पता चलता है तो वह रायगढ़ के लिए तुरंत रवाना हुए । और जब यह पहुंचे तो उनके पिता का निधन हो गया तो इन्होंने अपने ऊंट का सिर कटवा दिया और इन्होंने आदेश दिया कि वहां पर बिना सर की एक ऊंट की मूर्ति बनाई जाए


    कई किताबें इस बात का जिक्र मिलता है कि उनकी सौतेली मां ने इन्हें जहर देने के कोशिश भी करी और इन्होंने अपनी सौतेली मां को फांसी की सजा यानी मृत्युदंड दे दिया

    1681 से 1682 मैं औरंगजेब ने दक्षिणी भारत में एक अभियान चलाया बीजापुर और गोलकुंडा पर कब्जा किया और वहां के राजाओं को बंदी बना दिया


    1689 में रत्नागिरी में संभाजी महाराज को बंदी बना दिया गया संभाजी महाराज को बहादुरगढ़ के मुग़ल शिविर ले जाया गया


    और उन्हें बहुत परेशान किया गया उनसे धर्म बदलने के लिए कहा गया लेकिन उन्होंने धर्म नहीं बदला अपने धर्म के साथ खड़े रहे उन्होंने मुगलों की एक बात नहीं सुनी उन्हें बहुत परेशान किया गया उन पर अत्याचार किया गया लेकिन उन्होंने उस सब को सहन किया


    11 मार्च, 1689 को संभाजी महाराज के शरीर के सारे अंग काट दिए गए और औरंगजेब ने उनके सर को दक्षिणी नगरों में घुमाया और राजा बनने के बाद उनके छोटे भाई राजाराम ने मुगलों का पीछा नहीं छोड़ा मुगलों ने संभाजी महाराज के पुत्र और पत्नी को गिरफ्तार कर दिया


    उनके छोटे भाई अपनी पत्नी के साथ जिनजी किले चरण लेनी परी और साल 1697 में यह वहां से भाग गये और इन्होंने औरंगजेब पर जवाबी हमला बोला 1699 में मात्र 30 साल में राजाराम का निधन हो गया और उनकी पत्नी ताराबाई ने इस लड़ाई को जारी रखा।

    निष्कर्ष


    उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा बताइए जानकारी आपको समझ में आ गई यदि कोई सवाल है नीचे दिया गया है

    himanshupapnai@mysmarttips.in

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