आज के वक्त में हर कोई अपनी भविष्य के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहता है आप जानकर आश्चर्यचकित होंगे कि भारत में ऐसी किताबें उपलब्ध थी ऐसा ज्ञान उपलब्ध था जिसमें भविष्य के बारे में पहले से ही लिखा हुआ होता था यानी भविष्य में क्या घटना घटने वाली है उन किताबों में पहले से ही लिखा हुआ होता था । आज के वक्त में जब आप किसी पंडित के पास जाते हैं और अपनी कुंडली दिखाते हैं तो पंडित आपकी कुंडली में जो ग्रह है उनके अनुसार आपको कुछ जानकारियां देता है जो आपके जीवन से संबंधित होती है और कई पंडित दूसरों का हाथ को देखकर भी आकलन कर लेते हैं कई लोग इन बातों को नहीं मानते हैं लेकिन उन्हें मैं बता दूं कि जब विज्ञान नहीं हुआ करता था तब भी हमारे किताबों मैं कब चंद्र ग्रहण है कब सूर्य ग्रहण है इनके बारे में पहले से ही जानकारी होती थी ।
लेकिन आज हम आपको एक ऐसी किताब के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिस किताब के बारे में बहुत ही कम लोगों ने पढ़ा होगा नाम है लाल किताब । आप यह समझ लीजिए कि जब पंडित आपकी कुंडली देखा है या आपके हाथों की रेखाएं देखा है तो वह समुद्र शास्त्र का मात्र एक छोटा सा हिस्सा है समुद्र शास्त्र विशाल है इसके बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है और इसका नाम समुद्र शास्त्री इसलिए लिखा गया क्योंकि इससे समुद्र नाम की व्यक्ति ने लिखा था लाल किताब ज्योति से संबंधित ही है लाल किताब के बारे में कई लोग मानते हैं कि इस किताब को हिमाचल की प्राचीन विद्या मानते हैं लेकिन कुछ लोग इस महज उपायो की किताब मानते हैं।
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लेकिन इस किताब के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी और बहुत ही कम लोगों को इस किताब के बारे में जानकारी है और बहुत ही कम लोग इस विषय के ऊपर जानकारी लेना चाहते हैं कई लोगों का मानना है कि यह किताब हिमाचल हिमाचल की विधा है लाल किताब ज्योतिष की प्रारंभिक और प्राचीन विद्या का ग्रंथ है इस ज्ञान को उत्तरांचल और हिमाचल क्षेत्र से हिमालय की सिंदूर इलाके तक फैला हुआ था बाद में पंजाब से अफगानिस्तान इलाके तक यह ज्ञान फैला।
और कुछ लोगों का मानना यह भी है की पुराने समय में आकाशवाणी या होती थी और आकाशवाणी के वक्त जो भी बोला जाता था ऋषि मुनि इतने ज्ञानी होते थे कि उसे अगली पीढ़ी को देने के लिए और अगली पीढ़ी को सुनने के लिए वह लिख दिया करती थी और यही लाल किताब होती थी चलिए आज हम लाल किताब के बारे में आपको पूरी जानकारी देंगे इसलिए लाल किताब के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए इस पूरे आर्टिकल को शेयर अवश्य करिए
क्या लाल किताब अरुण संहिता ही है
कई लोग ऐसा भी कहते हैं कि लाल किताब अरुण संहिता ही है लेकिन अरुण संहिता के आधार पर ही रावण ने अपनी किताब लिखी थी जिसका नाम था रावण संहिता । लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है इसके बारे में ज्यादा कोई नहीं जानता
लाल किताब रावण ने लिखी थी
लोग कहते हैं कि लाल किताब को रावण ने अपने खून से लिखा था लेकिन रावण ने रावण संहिता लिखी थी ना कि लाल किताब
पराशर संहिता पर आधारित है लाल किताब
कुछ ज्योतिष विद्वान मुक्का मानना है कि लाल किताब पाराशर संहिता के काल नियम पर आधारित है कई लोग किसी को ज्योतिष विद्या की एकमात्र किताब भी मानते हैं
लाल किताब क्या है
लाल किताब का नाम पहली बार 1939 में जालंधर निवासी पंडित रूपचंद जोशी के द्वारा प्रकाशित की गई एक किताब का नाम था पहले इस किताब में कुल 383 उसे समय पंजाब की सरकारी स्कूलों में उर्दू पढ़ाई जाती थी और यह किताब भी उन्होंने उर्दू में ही लिखी थी इसमें अरबी और फारसी के शब्द प्रचलित भी थे।
इस साल 1952 में इस किताब में 1171 पेज जोड़ दिए गए और 1952 में इस किताब को दोबारा मार्केट में एक नये रूप में उतार दिया गया।
ज्यादातर लाल किताबें बाजार में जो उपलब्ध है उनमें सिर्फ ज्यादातर ऐसी किताबें हैं जिन्हें सिर्फ बिजनेस की दृष्टि और लाभ के लिए लिखी गई है। इसमें प्रचलित फलित ज्योतिष और लाल किताब में सूत्रों को मिश्रित कर दिया गया है जो प्राचीन विद्या के साथ किया गया एक अन्याय है
लाल किताब में जो उपाय बताए गए हैं उनके बारे में ज्यादातर कई लोग गलत कहते हैं तो कई लोग सही कहते हैं यह हर किसी की विचार करने की बात है। प्राचीन ज्योतिष विद्या के सूत्र लाल किताब में जिस तरीके से लिखे गए हैं वह क्रमबद्ध नहीं है और उनकी भाषा स्पष्ट है मतलब जो पहला सूत्र प्रथम अध्याय में है और उसका उपाय अंतिम अध्याय के किसी अन्य भाग मे बताया गया है इसलिए बिखरे हुए सूत्रों को भली-भांति समझकर उन पर शोध करके ही कोई टिप्पणी करना उचित है
कुछ लोग यह भी मानते हैं कि इस किताब को पंडित गिरधारी जी ने लिखा है जो कि पाकिस्तान के पंजाब के रहने वाले और ब्रिटिश प्रशासन के लिए काम कर रहे थे उन्होंने लाहौर की एक निर्माण स्थल से उर्दू और फारसी भाषा में लिखी कुछ ताम् लीपियां मिली। बाद में जब इनका अध्ययन किया गया तो यह पता चला कि यह ज्योति से संबंधित विषय के ऊपर लिखा गया है और लाल किताब को प्रकाशित करने वाले पंडित रूपचंद जोशी जी के चचेरे भाई पंडित जारी थे
लाल किताब किन विषयों के बारे में बताती है
लाल किताब में ज्योति से संबंधित और हस्त रेखा से संबंधित कई जानकारियां बताई गई है लेकिन क्या आप जानते हैं इस किताब का नाम लाल किताब क्यों रखा गया क्योंकि यह किताब लाल कवर से ढकी गई है इसलिए इसका नाम लाल किताब रख दिया गया
निष्कर्ष
उम्मीद करते हैं आपको हमारे द्वारा बताई गई जानकारी समझ में आ गई होगी यदि कोई सवाल है कमेंट करके पूछ सकते हैं अधिक जानकारी के लिए ईमेल कर सकते हैं हमारे ईमेल पता नहीं दिया गया
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