उत्तराखंड जहां का इतिहास बहुत ही पुराना है जहां के बारे में स्कंद पुराण मैं भी लिखा है नेपाल से एक यात्री ने यात्री ने भी यहां की एक अलग व्याख्या की है। केदार खंड और गढ़वाल खंड यह दो ऐसे दो मंडल है जिनका इतिहास बहुत ही पुराना है कुमाऊं क्षेत्र के बारे में तो हम हर कोई जानता हैकि यहां कई राजाओं ने राज कर लेकिन गढ़वाल मंडल में 52 गढ़ होते थे इन गढ़ हमें उत्तराखंड के बारे में बताता है कि उत्तराखंड में कई राजाओं ने राज कर और कैसे 52 गढ़ बन गए गढ़वाल मंडल में लेकिन जितने प्रसिद्ध गढ़वाल मंडल के 52 गढ़ हुए उतने कुमाऊं के इतने कुमाऊं गढ़ प्रसिद्ध नहीं हुए।
गढ़वाल मंडल के 52 गढ़
- 1 गढ़ है नागपुर गढ़, ये जौनपुर परगना में था। यहां नागदेवता का मंदिर है। यहां के अंतिम राजा भजनसिंह हुए।
2 गढ़ है कोल्ली गढ़, यहां बछवाण बिष्ट जाति के लोग रहते थे।
3 गढ़ है रवाणगढ़ , ये बद्रीनाथ मार्ग में पड़ता है और यहां रवाणी जाति की बहुलता थी।
4 गढ़ है फल्याण गढ़, ये फल्दकोट में था और फल्याण जाति के ब्राहमणों का गढ़ था। - 5 गढ़ है वागर गढ़, ये नागवंशी राणा जाति का गढ़ था।
6 गढ़ है कुईली गढ, ये गढ़ सजवाण जाति का गढ़ था।
7 भरपूर गढ़ है, ये भी सजवाण जाति का गढ़ था।
आठवां गढ़ है कुजणी गढ़, ये भी सजवाण जाति से जुड़ा है, यहां के आखिरी थोकदार सुल्तान सिंह थे।
नवां है सिलगढ़, ये भी सजवाण जाति का गढ़ था।
दसवां गढ़ है मुंगरा गढ़, रवाई स्थित ये गढ़ रावत जाति का था।
11वां गढ़ है रैका गढ़ , ये रमोला जाति का गढ़ था।
12वां गढ़ है मोल्या गढ़, रमोली स्थित ये गढ़ भी रमोला जाति का था।
13वां ग़ढ़ है उपुगढ़, ये गढ़ चौहान जाति का था। 14वां गढ़ है नालागढ़, देहरादून जिले में इसे बाद में नालागढ़ी के नाम से जाना जाने लगा।
15वां है सांकरीगढ़, रवाईं स्थित ये गढ़ राणा जाति का था।
16वां है रामी गढ़, इसका संबंध रावत जाति से था।
17वां गढ़ है बिराल्टा गढ़, ये गढ़ रावत जाति का ही गढ़ था।
18वां है चांदपुर गढ़, ये सूर्यवंशी राजा भानुप्रताप का गढ़ था।
19वां चौंडा गढ़ है, चौंडाल जाति का ये गढ़ शीली चांदपुर में था।
20वां गढ़ है तोप गढ़, ये तोपाल जाति का था।
21वां है राणी गढ़, इसकी स्थापना एक रानी ने की थी और इसलिए इसे राणी गढ़ कहा जाने लगा।
22वां है श्रीगुरूगढ़, ये गढ़ पडियार जाति का था।
23वां है बधाणगढ़, यहां बधाणी जाति के लोग रहते थे।
24वां लोहबागढ़, ये गढ़ नेगी जाति का गढ़ था।
25वां है दशोलीगढ़, इस गढ़ को मानवर नाम के राजा ने प्रसिद्धि दिलायी थी।
26वां है कंडारागढ़, यहां कंडारी जाति के लोग रहते थे।
27वां है धौनागढ़ , ये धौन्याल जाति का गढ़ था।
28वां है रतनगढ़ यहां धमादा जाति के लोग रहते थे।
29वां गढ़ है एरासूगढ़, ये गढ़ श्रीनगर के ऊपर था।
30वां गढ़ है इडिया गढ़, यहां इडिया जाति के लोग रहते थे।
31वां है लंगूरगढ़, लंगूरपट्टी में इसके निशान अभी भी हैं।
32वां है बाग गढ़, ये नेगी जाति का गढ़ था।
33वां है गढ़कोट गढ़, ये गढ़ बगड़वाल बिष्ट जाति का था।
34वां है गड़तांग गढ़, ये भोटिया जाति का गढ़ था।
35वां है वनगढ़ गढ़, 36वां भरदार गढ़ है। : यह वनगढ़ के करीब स्थित था।
37वां चौंदकोट गढ़, इसके अवशेष चौबट्टाखाल के ऊपर पहाड़ी पर अब भी दिख जाएंगे। - 38वां है नयाल गढ़, ये नयाल जाति का गढ़ था।
- 39वां है अजमीर गढ़, ये पयाल जाति का था।
- 40वां है कांडा गढ़, ये रावत जाति का गढ़ था।
- 41वां है, सावलीगढ़,
42वां बदलपुर गढ़ - 43वां संगेलागढ़, यहां बिष्ट जाति के लोग रहते थे।
- 44वां गुजड़ूगढ़,
45वां जौंटगढ़,
46वां देवलगढ़,
47वां लोदगढ़,
48वां जौंलपुर गढ़,
49वां चम्पा गढ़ ,
50वां डोडराकांरा गढ़,
51वां भुवना गढ़ और
52वां गढ़ है लोदन गढ़।
इसे गढ़ का देश कहा जाता है इन गढ़ को एक करने का कई बार करने की कोशिश की । कार्तिकेय राजवंश जैसे कई वंश ने यहां राज कर पावर वंश के राजा जगतपाल ने इन गानों को एक करने का काम किया और इस काम को पूरा किया अजय पाल ने। बाद में आर्य वंश ने यहां अपना अपना राज किया और इन गढ़ को एक करने का काम किया गया। डाकू से बचने के लिए ऊंची चोटी पर यह अपने घर बनाते थे।
निष्कर्ष
उत्तराखंड का इतिहास आज हमने आपको बताया उम्मीद करते हमारे द्वारा बताई गई जानकारी आपको समझ में होगी कि कोई सवाल तो कमेंट करके आप हमसे पूछ सकते हैं
उत्तराखंड का इतिहास क्या है|(What is the history of Uttarakhand)