स्वामी विवेकानंद काजन्म
स्वामी विवेकानंद जिनके जीवन से हर किसी व्यक्ति को सूचना चाहिए लेकिन इनका जन्म कब हुआ और यह कहां के रहने वाले थे इन्होंने कौन सी किताबें लिखी इन सभी विषय के बारे में हमें पता होना चाहिए क्योंकि और उनके आदर्शों पर हमें चलना चाहिए चलिए आज जानते हैं उनके बारे में पूरीजानकारी। स्वामी विवेकानंद के जन्म से जुड़ी सारीबातें स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था कोलकाता में हुआ था उनके बचपन का नाम नरेंद्र नाथ उनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त कोलकाता हाई कोर्ट में एक प्रसिद्ध वकील थे और उनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों की महिला थी उनका अधिकार है भगवान शिव की पूजा में पिता था। परिवार के धार्मिक एवं आध्यात्मिक वातावरण के प्रभाव से बालक नरेंद्र के मन में बचपन से ही धर्म यात्रा के संस्कार गहरी पड़ गए और उसे प्राप्त करने के बारे में जानने की उत्सुकता में और कथावाचक पंडित जी तक चक्कर में पड़ जाते थे माता-पिता ने बड़े लाड प्यार से अपने लक्षण बालक का पालन पोषण किया 5 वर्ष की आयु का होने पर उन्होंने नरेंद्र की पढ़ाई की व्यवस्था घर पर ही करती नरेंद्र ने मन लगाकर पढ़ना लिखना शुरू कर दिया पढ़ाई के साथ-साथ बालक नरेंद्र अपने घर में होने वाले धार्मिक आयोजनों में भाग लेकर कीर्तन करने में और ध्यान लगाकर बैठने में ईश्वर को जानने की जिज्ञासा बढ़ने लगी और भी कई साधु संतों के पास घूम लेकिन उनके मन को संतोष ना मिल सका कुछ समय बाद नरेंद्र घर का सारा भार नरेंद्र पर ध्यान पड़ा घर की आर्थिक दशा बहुत खराब थी अपने रामकृष्ण परमहंस के दर्शन करने का सुभा गया स्वामी रामकृष्ण की भक्ति देखकर उनसे अत्यंत प्रभावित हुए और दक्षिणेश्वर मां काली अक्सर यही पूछा भगवान कहां है कैसे हैं और उन्हें कैसे प्राप्त किया जा सकता है उनका ज्यादातर समय तपस्या और भक्ति में ही क्लीन होने लगा नहीं उन्हें अपने अंतर में बसने वाले के दर्शन भी हुए उसे समयगुलामी के दौर से गुजर रहा था नरेंद्र का हृदय सदैव देश के हालातो से व्यथित रहता था नरेंद्र भविष्य हमेशा देश के बारे में सोचते थे उन्हें देश के युवाओं से बहुत आशा थी उनके जीवन में कई अद्भुत घटनाएं सन 1890 में यात्रा करी इन यात्राओं के दौरान उन्होंने मथुरा वृंदावन अयोध्या जैसे स्थानों पर गए और उनका नामकरण स्वामी विवेकानंद के रूप में हुआ यह नाम स्वामी विवेकानंद को राजा अजीत सिंह बहादुर जी ने दिया था इस यात्रा के दौरान हुए राजाओं के महल में रुके और गरीब लोगों के महलों घरों में भी और उन्हें देश-विदेश के बारे में कई जानकारी मिली और उन्हें देश में चल रही तानाशाही के बारे में पता चला और उन्हें यह पता चला कि उन्हें एक नए विकसित भारत का निर्माण करना है तो उन्हें इन बुराइयों को खत्म करना होगा सन 1893 में स्वामी विवेकानंद अमेरिका गई यहां संपूर्ण धर्म का सम्मेलन हो रहा था वहां सभी धर्म की अलग-अलग किताबें रखी हुई थी वहां हमारे भी एक किताब रखी हुई थी श्रीमद् भागवत गीता सभी लोक इस किताब के बारे में चर्चा कर रहे थे और स्वामी विवेकानंद ने भगवत गीता के बारे में बताया और और उन्होंने भागवत गीता के बारे में बताया और सभी ने सुना इस देश में कई महापुरुषों ने जन्म लिया है स्वामी विवेकानंद के विचारों पर हमें चलना चाहिए
निष्कर्ष
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