एक ऐसा व्यक्ति जो किसी समय परशेयर मार्केट का राजा कहलाता था एक ऐसा व्यक्ति जिसने शेयर मार्केट की नॉलेज से खूब पैसा कमाया। नाम है हर्षद मेहता कि उसे व्यक्ति का नाम है जो किसी समय पर शेयर मार्केट का सबसे बड़ा खिलाड़ी कहलाता था शेयर मार्केट इसके बारे में हर कोई जानता है शेयर मार्केट का मतलब होता है किसी कंपनी की कुछ हिस्से कब खरीदना यानी वह हम कंपनी यदि घाटे में जाएगी तो आप भी घाटे में जाएंगे यदि वह कंपनी प्रॉफिट में जाएगी तो आप भी प्रॉपर्टी में जाएंगे। पहले शेयर मार्केट पूरी तरीके से ऑफलाइन होता था यानी शेयर मार्केट जैसे कि बुल शेयर मार्केट को हमेशा ऊपर ले जाता हैआखिर कैसे शेयर मार्केट को ऊपर ले जाया जाता है देखिए होता यह है कि शेयर मार्केट में यदि किसी शेयर में ज्यादा लोग शेर को खरीद ले तो मार्केट में उसके डिमांड हाई होजाती है नाम है हर्षद मेहता।
हर्षद मेहता कौन है
हर्षद मेहता ने उसे समय के प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री को एक करोड़ की रिश्वत दी गई है हर तरफ इस विषय के ऊपर चर्चा होने लग गई। हर जगह हर्षद मेहता के चर्चा चलने लगी। हर्षद मेहता की चर्चा मुंबई में हर जगह चलने लगी जो एक समय पर ₹40 लेकर मुंबई आया वह आज मुंबई में बहुत अमीर लोगों के साथ उसका नाम आता था जिस भी कंपनी का शेयर खरीदना था उसका वह जिस शेयर को खरीदना था वह शेयर आसमान छूने लगता था।

मुंबई में लाला लाजपत राय कॉलेज में एडमिशन दिया और पढ़ाई के साथ छोटे-मोटे काम किया शुरुआत में उसने छोटे-छोटे काम किया धीरे-धीरे उनका परिवार रायपुर से मुंबई आ गया मुंबई आने के बाद न्यू इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में कलर की की नौकरी मिल गई और 1977 में मिली थीया नौकरी ।
₹6000 इनकी सैलरी थी और इन्होंने आप सोचा कि हम अपनी किस्मत को मार्केट में देखेंगे।
उसे समय मार्केट ऑनलाइन नहीं था वहां ब्रोकर के माध्यम से आप शेयर खरीद सकते थे जब पहली बार हर्षद मेहता मार्केट में गया मुझे मार्केट में ही खेलना है लेकिन उसके लिए हर्षद मेहता को ब्रोकर बना था

उन्होंने अमरनाथ से बार-बार रिक्वेस्ट करी तब जाकर अंबर लाल ने हर्षद मेहता को शेयर मार्केट के बारे में पूरी जानकारी दी और शेयर मार्केट कैसे खेलते हैं जब पहले हर्षद मेहता जोबार बने तो पहले ही दिन हर साल मैं तो को ₹2000 का नुकसान हो गया लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी। अगले कुछ महीने में उन्होंने अपने कौशल में खूब मेहनत कई और जल्द ही मार्केट में इनका नाम चलने लग गया। जब कंपनी के बारे में जानकारी पता करने लग गए अंदर से और जब मार्केट में कंपनी गिरने वाली होती है तो यह अपने पैसा कंपनी से निकाल देते थे।
यह किसी कंपनी के शेर अधिक मात्रा में खरीद लेते थे और उसे कंपनी के शेयर ऊपर जाने लग जाती थी और यह बाद में पैसे निकाल देते थे और कंपनी के शेयर गिर जाते थे।
बैंक जब एक दूसरे को 15 दिन के लिए पैसे देते थे तो इसी में खेल खेल गए हर्षद मेहता। एक बैंक दूसरे बैंक से पैसे उधार लेता था और कुछ अपनी संपत्ति जप्त करता था लेकिन इसमें कोई सुरक्षा नहीं होती थी। बैंक एक बिहार जारी करता था यह बैंक एक प्रमाण पत्र होता था इसमें लिखा होता था कि इतना पैसा हमें चाहिए और हम अपनी यह संपत्ति आपके पास रख रही है अब इसके लिए चाहिए था ब्रोकर। ब्रोकर बनने के लिए ही हर्षद मेहता ने सोचा था जून 1982 में एक बार फिर हर्षद मेहता मार्केट में और इस बार उनका बिजनेस था कि अमीरों का पैसा शेयर मार्केट में लगाना। टाटा टी इनमें खूब पैसा लगाया गया और उनकी कंपनी का नाम प्रसिद्ध होने लग गया। 1985 में तक हर्षद मेहता का नाम चलने लग गया लेकिन मनु मालिक जो शेयर मार्केट का एक व्यक्ति था वह वह हर्षद मेहता की कामयाबी से चढ़ने लग गया।
आप इन्होंने घोटाला किया कर चली आपको बताते हैं जब दो बैंक का आपस में पैसों का लेनदेन करते थे तो यह आपस में एक BR बनाते थे उसमें लिखा रहता था कि हमें कितने पैसे चाहिए और हम कब तक लौटा देंगे 15 दिन का समय होता था एक ब्रोकर को दूसरे बैंक हमसे पैसे लाने तक आप इसमें हर्षद मेहता उन पैसों को शेयर मार्केट में लगते थे और शेयर मार्केट से जो प्रॉफिट है उसको हमने पास रखते थे बकाया पैसा बैंक में दे देते थे बाद में इस घोटाला का पता चला और हर्षद मेहता को मृत्यु 31 31 दिसंबर 2001 को हो गई और यह घोटाला 1993 में किया गया था। इसको ख्याल के बारे में सुचित्रा दलाल ने टाइम्स आफ इंडिया में बताया था और बाद में हर्षद मेहता को जेल डाल दिया गया
निष्कर्ष
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