• October 20, 2025 4:06 pm

    Quantum magnus क्या है ।

    ByHimanshu Papnai

    Oct 12, 2025 #google, #news

    Quantum magnus जिसने विज्ञान के जगत में तहलका मचा दिया था कई इस विषय के ऊपर कहते हैं कि यह बहुत कठिन होता है लेकिन यह इतना कठिन नहीं है यह बताता है कि छोटे-छोटे कान कैसे काम करते हैं यह हमें बताता है कि दुनिया की छोटी-छोटी चीज कैसे काम करती है क्वांटम मैकेनिक्स के प्रिंसिपल हमारे आसपास की दुनिया को चलते हैं चाहे वह आपके स्मार्टफोन की बैटरी हो सूरज की रोशनी हो या फिर हमारा अपना शरीर सब कुछ क्वांटम मैकेनिक्स के रूल्स फॉलो करता है

    क्वांटम मैकेनिक्स क्या है और यह कैसे काम करता है

    क्वांटम मैकेनिक्स की दुनिया सामना होता है जो हमारी रोज बहुत ही छोटे कणों की दुनिया है और जो होता है क्वांटम मैकेनिक्स के कारण ही कंप्यूटर की चिप मोबाइल फोन मोबाइल फोन का मदरबोर्ड बना क्वांटम मैकेनिक्स की कहानी की शुरुआत होती है जब वैज्ञानिक सोचते थे की ऊर्जा पानी की तरह बहती है लेकिन 1858 से 1947 के मध्य में एक वैज्ञानिक आई जिनका नाम था max plank ऐसा क्रांतिकारी विचार प्रस्तुत किया यह इस चीज को समझने में असफल रही थी कि गर्म चीज अलग-अलग रंगों में प्रकाश क्यों निकलती है । max plank नहीं यह कहा कि एनर्जी अलग-अलग पैकट के रूप में आती है उन्होंने इस क्वांटम नाम दिया। और इस विचार ने पूरी दुनिया को बदल दिया उनके अनुसार ऊर्जा पानी की बहू के रूप में नहीं होती बल्कि शिर्डी के समान होती है। जैसे आप शिरडी जाते वक्त एक ही सीडी में पर रख सकते हैं बीच में नहीं रख सकते वैसे ही ऊर्जा भी कुछ निश्चित वैल्यू ले सकती है। जिन्हें क्वांटा कहा जाता है हर ऊर्जा का एक अलग वैल्यू होती है जिसे प्लांक स्थिरांक कहते हैं।

    इस विचार ने विज्ञान के क्षेत्र में क्वांट यम की नींव रखी। और भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत हुई ।प्लांक कि इस क्रांतिकारी विचार ने आधुनिक फिजिक्स के लिए राखी और आगे चलकर आइंस्टीन बोहर और अन्य वैज्ञानिक के लिए रास्ते खोले इन्होंने बहुत ही विज्ञान के क्षेत्र में एक नया चैप्टर खोल दिया लेकिन उसे समय तक भी क्वांटम को पूरी तरीके नहीं समझा जा सकता था उन्होंने बताया कि एनर्जी वैल्यू होती है।

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    आइंस्टीन ने उनके काम को आगे बढ़ाया और प्रकाश प्रकाश की प्रकृति को समझने के लिए भी किया जा सकता है आइंस्टीन ने 1905 में अपना एक महत्वपूर्ण रिसर्च पेपर वापस किया जिसमें उन्होंने फोटो प्रोटॉन की व्याख्या की यह इफेक्ट उसे समय वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बना हुआ था। फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव में जब प्रकाश किसी मेटल पर गिरता है तो उसमें से इलेक्ट्रॉन निकलते हैं

    भौतिक विज्ञान के पुराने नियम इसके बारे में बता नहीं पा रहे थे। प्रकाश की तीव्रता बढ़ाने पर इलेक्ट्रॉन भी बढ़ने चाहिए लेकिन प्रकाश की तीव्रता बढ़ने से इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा बढ़ जा रही थी ना कि उनकी संख्या। आइंस्टीन ने बताया कि प्रकाश ऊर्जा के छोटे-छोटे पैकेट या क्वांटम के रूप में आता है जिन्हें आज हम प्रोटॉनकहते हैं। इसी समय नील्स बौहर 1885 से 1962 परमाणु की संरचना को समझने में लगे हुए थे उसे समय तक वैज्ञानिक जानते थे कि परमाणु एक बहुत छोटा सा नाभिक होता है जिसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन चक्कर लगाते हैं लेकिन भौतिक विज्ञान के पुराने नियम के अनुसार नाभिक में गिर जाना चाहिए। बौहर ने इस चीज को समझने के लिए क्वांटम सिद्धांत का सहारा लिया।

    1913 में परमाणु का अपना क्वांटम मॉडल प्रस्तुतकिया उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉन अपनी कुछ निश्चित कक्षा में ही चक्कर लगा सकते हैं जिन्हें एनर्जी लेवल कहा जाता है हर एनर्जी लेवल की अपनी कुछ अलग वैल्यू होती है और इलेक्ट्रॉन अपने एनर्जी लेवल से दूसरे एनर्जी लेवल में तभी जा सकते हैं जब वह एनर्जी या तो छोड़ते हैं या अवशोषित करते हैं।उन्होंने इस प्रक्रिया को क्वांटम क्वांटम उलझाव कहा था उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रॉन एक एनर्जी लेवल से दूसरे एनर्जी लेवल धीरे-धीरे नहीं जाते बल्कि अचानक से एक लेवल से दूसरे लेवल में कूद जाते हैं बाहर का यह मॉडल उसे समय उपलब्ध प्रयोग के अनुसार काम कर रहा था और इसने क्वांटम थ्योरी को मजबूत किया यह क्वांटम मेकैनिज्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण कांसेप्ट है यह बताता है कि परमाणु के अंदर एनर्जी कैसे पहुंचती है। प्लैंक आइंस्टीन और बहुत जैसे महान वैज्ञानिकों ने क्वांटम मेकैनिज्म को प्रसिद्ध किया।

    लेकिन बाद में जब वैज्ञानिकों ने इस पर और रिसर्च कर तो उन्होंने पाया किया दुनिया जितनी अजीब है उतनी ही अद्भुत है क्वांटम के नियम हमारी रोज दुनिया से बहुत ही अलग है एक वस्तु दो जगह पर हो सकती है।

    अनिश्चित का सिद्धांत प्रिंसिपल को 1927 में एक वैज्ञानिक वेरनर हेसनबर्ग ने दिया था यह सिद्धांत कहता है कि हम किसी चीज की स्थिति और स्पीड एक साथ अनुमान नहीं लगा सकते। अगर हम किसी चीज की की स्थिति के बारे में पता लगते हैं तो हम उसकी स्पीड का अनुमान बहुत ही काम लगा सकते हैं और और अगर हम उसकी स्पीड को अच्छे से अनुमान करते हैं तो हम उसकी स्थिति सही नहीं बता सकती है।

    यह प्रकृति का एक बुनियादी नियम है क्वांटम दुनिया में अनिश्चित ही एक निश्चित है क्वांटम दुनिया का एक अजीबोगरीब नियम है। यह कहती है कि एक वस्तु एक ही समय में दो स्थितियों में हो सकती है उदाहरण के लिए एक इलेक्ट्रॉन तू अलग-अलग स्थितियों में हो सकता है यह तब तक संभव है जब तक हम उसकी ऊर्जा का अनुमान नहीं लगते जैसे ही हम उसकी ऊर्जा का अनुमान लगाते हैं इलेक्ट्रॉन उन दो स्थितियों में से किसी एक स्थिति में आ जाता है

    यह ऐसा है जैसे एक सिक्का उछलने पर वह हेड और ट्रायल दोनों आ सकता है जब तक कि वह हमारे हाथ में ना आ जाए तब तक हम मात्र अनुमान लगा सकते हैं।नेचर एक ऐसी डिवाइस है

    जो प्रकाश को एक बहुत ही पतली बना देती है लेजर का आविष्कार क्वांटम मेकैनिज्म के आधार से ही हुआ और आज इसका उपयोग हॉस्पिटल, मनोरंजन क्षेत्र में और कंपनियों में किया जा रहा है

    इस तकनीक से ही हमें कंप्यूटर चिप हमें मोबाइल फोन के अंदर का सिस्टम बनी है लेकिन क्वांटम तकनीक की कहानी नहीं होती वैज्ञानिक का इस्तेमाल करके और बेहतर कंप्यूटर बनाने का इस्तेमाल कर रहे हैं क्वांटम कंप्यूटर आज के कंप्यूटर से बहुत तेज होंगे और जल्दी प्रॉब्लम को सॉल्व करेंगे।

    निष्कर्ष

    उम्मीद करते हमारे द्वारा बताइए जानकारी आपको समझ में आ गई यदि कोई सवाल है कमेंट करें।

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