भारत एक कृषि प्रधान देश है यहां की 60% से अधिक की जनसंख्या कृषि पर निर्भर है मुझे याद आता है की एक बार लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा था जय जवान जय किसान यानी किसी देश को विकास के मार्ग पर आगे ले जाना है तो आपको किसान और जवान दोनों के साथ मिलकर देश को आगे ले जाने का सोचा होगा और किसने और जवानों के प्रति सम्मान के भाव से देखना होगा। अगर बात करें भारत के भौगोलिक क्षेत्र की तो भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्र 328 मिलियन हेक्टेयर है भारत विश्व में क्षेत्रफल की दृष्टि से सातवें नंबर पर आने वाला है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!और अगर अर्थव्यवस्था की दृष्टि से देखें तो भारत पांचवें नंबर पर आने वाला देश है और अगर बात करें जनसंख्या की दृष्टि से तो भारत पहले नंबर पर आता है जिसे चीन को भी पीछे छोड़ दिया है संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है जनसंख्या में अभी तक भारत की कुल जनसंख्या संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के अनुसार 1,454,497,804 है जो पूरी दुनिया का 17 .78 प्रतिशत है। और भारत चावल उत्पादित करने में दूसरे नंबर पर आता है गेहूं उत्पादित करने में दूसरे नंबर आता है वही दूध उत्पादित करने में पहले नंबर पर आता है अगर बात करें लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार किसानों के लिए नई-नई योजनाएं निकलती है
लेकिन जब किसान की फसल खराब हो जाती है तो भारत सरकार किसान बीमा योजना के तहत किसानों को फसल का बीमा करने के लिए कहती है और जितना नुकसान हुआ है वह नुकसान की भरपाई करती है बीमा के लिए भारत सरकार ने अलग-अलग कैटिगरी बनाई गई है रवि खरीफ और वाणिज्यिक फसलों के लिए अलग-अलग कैटिगरी बनाई गई है चलिए आज हम बात कर रहे हैं न्यूनतम समर्थन मूल्य की कई लोग इसे MSP कहते हैं इसकी शुरुआत कैसे हुई और न्यूनतम समर्थन मूल्य होता क्या है इसके बारे में हम आपको पूरी जानकारी देने वाले हैं
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न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या होता है ?(MSP kya hai)
न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों के लिए केंद्र सरकार लागू करती है यानी कभी मार्केट में फसलों की कीमत गिर जाती है उसके बावजूद भी केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत उसे फसल का जो मूल्य निर्धारण पहले करती है उसी मूल्य पर उसे फसल को खरीदा जाता है।
जब केंद्र सरकार किसी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण करती है तो वह कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिश पर ही किसी फसल के लिए उसका न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण करती है न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कृषि लागत और मूल्य आयोग 23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग करता है जिनमे ,धान ,गेहूं, मक्का ज्वार ,बाजरा, जौ और रागी और कुछ दाले ( चना एरर मुंह उड़द और मसूर) कुछ तिलहन( मूंगफली ,सरसों ,सोयाबीन, तेल, सूरजमुखी, कुसुम रामतिल) कुछ कमर्शियल फैसले( खोरा, गाना, कपास ,कच्चा जूट,कपास) रखी गई है
न्यूनतम समर्थन मूल्य कैसे तय होता है
न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कृषि और मूल्य आयोग खरीफ फसल के लिए, रबी की फसल के लिए ,गन्ना कच्चा जूट ,खोखरा के लिए मूल्य तय करती है। कृषि और मूल्य आयोग न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए अपनी रिपोर्ट बनाते हैं और उसे रिपोर्ट को बाद में केंद्र सरकार को देता है केंद्र सरकार राज्य सरकारों और अधिकारियों से इस विषय के ऊपर चर्चा करती है। और उसके बाद केंद्र सरकार किसी निर्णय में पहुंचती है
फसलों की लागत तय कैसे होती है
फसल की लागत को तय करने के लिए कुछ भागों में बांटा गया है जिसके बारे में अपने नीचे बताया है
A2= फसल उत्पादन के लिए किए गए नकद खर्च उदाहरण के लिए बीज, खाद सिंचाई आदि सम्मिलित होते हैं
A2+fL = इसके अंदर नगद खर्च के साथ-साथ फैमिली लेबर यानी किसान परिवार का अनुमानित मेहनताना भी छोड़ जाता है
C2= इसके अंदर नगद खर्च फैमिली लेबर के अलावा खेत की जमीन का किराया और कुल कृषि पूंजी पर लगने वाला ब्याज भी सम्मिलित किया जाता है
निष्कर्ष
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