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    क्यों पिछड़ा बिहार |(Why is Bihar backward)

    नमस्कार दोस्तों Best My Smart Tips Blog में आपका स्वागत है। जब भी आप बिहार का नाम सुनते हैं तो आपके मन में बिहार के बारे में कोई ना कोई इमेज अवश्य बनती होगी यदि यह इमेज आपके मन में अच्छी बन रही है तो और अच्छी बन जाएगी और यदि बुरी है तो अच्छी बन जाएगी आज हम आपको बिहार के बारे में पूरी जानकारी देंगे और एक कालखंड से जोड़ेंगे।
    एक समय वह भी था जब बिहार समृद्ध था लेकिन आज बिहार की ऐसी हालत क्यों हो गई जब हम बिहार के बारे में सोचते हैं तो हमारे मन में बिहार के बारे में दो विचार आते हैं जिस राज्य से सबसे ज्यादा IAS ,IPS निकलते हैं और दूसरा विचार आता है जो भारत का सबसे गरीब राज्य है जिसकी साक्षरता दर सबसे कम है । बिहार जो कि भारत का जनसंख्या की दृष्टि से तीसरा सबसे बड़ा राज्य है वही एक बहुत बड़ा वर्ग स्वास्थ्य ,शिक्षा से संबंधित सेवाओं से दूर है
    जब हम बिहार के इतिहास को पढ़ते हैं तो हम समझते हैं की बिहार उस मगध  का केंद्र रहा जो महाजनपद काल से सातवीं सदी तक यानी 1200 वर्षों तक भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे शक्तिशाली केंद्रक रहा। और इस मगध साम्राज्य ने ही बिंबिसार महात्मा बुद्ध महावीर जैन सम्राट अशोक और गुप्त काल में समुद्रगुप्त जैसी सम्राट दिए तीसरी और  6 शताब्दी में गुप्त साम्राज्य को भारत का स्वर्णिम काल कहा जाता है क्योंकि इस साम्राज्य में ही भारत में संख्या शास्त्र खगोल शास्त्र विज्ञान और धर्म दर्शन शास्त्र में अभूतपूर्व प्रगति देखने को मिली जब विज्ञान की बात हो रही हो तो हम नालंदा को कैसे भूल सकते हैं नालंदा का इतिहास अगर हम देखें तो नालंदा को कुमारगुप्त ने ही बनाया था जिसमें महान आर्यभट्ट और शून्य की परिकल्पना देने वाले नागार्जुन जैसे आचार्य मौजूद थे
    हम भारत का इतिहास पढ़ते हैं तो हम बिहार के बारे में अवश्य पढ़ते हैं लेकिन अब हम बिहार को देखते हैं तो बिहार की जो हालात बढ़ती जा रही है यह दुख का विषय है कभी बिहार की सबसे समृद्ध पाटलिपुत्र आज सबसे गरीब राज्य की राजधानी पटना बन गई है जहां सबसे ज्यादा लोग पढ़ने आते थे नालंदा। वह आज साक्षरता दर में सबसे कम है
    बिहार का जो ज्यादा क्षेत्र है वह एक ही के साम्राज्य में रहा जो की था मगध साम्राज्य। जिसमें पाटलिपुत्र, नालंदा, राजगीर मिथिला बोधगया जैसे स्थान बहुत ही प्रसिद्ध थे। मगध का इतिहास 600 ईशा वर्ष पूर्व शुरू हुआ था 600 ईसा पूर्व से 700 ईसा पूर्व तक मगध में हर्यक वंश, और गुप्त राजवंशों ने राज किया जिसमें सबसे ज्यादा गुप्त वंश का शासन चला 300 वर्षों तक.

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    गुप्त वंश के काल में ही नालंदा विश्वविद्यालय का निर्माण हुआ इस विश्वविद्यालय में 10000 लोगों की रहने की व्यवस्था भी थी गुप्त वंश में ज्योतिष विज्ञान खगोल शास्त्र समुद्र शास्त्र और अंकगणित जैसे बड़े-बड़े शास्त्र पढ़ाए जाते थे दिल्ली के अंदर लोह स्तंभ चंद्रगुप्त द्वितीय के साम्राज्य में निर्मित किया गया था धातु शास्त्र का यह एक उदाहरण है।
    गुप्त वंश के बाद जिन राजाओं ने बिहार में राज कर उन्होंने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और जब नालंदा विश्वविद्यालय को खिलजी के द्वारा नष्ट कर दिया गया 3 महीने तक नालंदा चला रहा आप सोच सकते हैं कि उसे समय कितनी किताबें थी नालंदा में। 1757 से 1764 में जब बक्सर का युद्ध होता है और बिहार में ब्रिटिश के काल में कैसा हुआ चलिए हम बताते हैं जब ब्रिटिश ने बिहार में कब्जा कर लिया तो उसके बाद lord cornwallis मैं मुगलों के द्वारा चलाई जा रही जमींदारी व्यवस्था को लागू किया और जितना मुगलों के शासन में किसानों को जितना परेशान किया जाता था उससे ज्यादा ब्रिटिश के शासन में किया जाता था 1790 में मुगलों के द्वारा चलाई जा रही जमींदारी को ब्रिटिश ने लागू किया और 1793 में इसे स्थाई बंदोबस्त में लागू कर दिया गया और किसानों 11 में से 10 हिस इनकम टैक्स के रूप में देनी पड़ती थी यानी कुल उपज का 89% ।
    कुछ समय तक तो ब्रिटिश शासन को बहुत ही अच्छा टैक्स मिलने लग लग गया बाद में किसानों को अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ता था जो जमीदार किसानों से टैक्स लेता था वह आप साहूकार बन गया यानी वह किसानों को लोन देने लग गया और जब किसान लोन नहीं देता था तो साहूकार उसकी जमीन को हड़प लेता था।
    और ऐसा बढ़ता गया और उत्तर भारत की कृषि सभ्यता और कृषि की उपज लगभग कम होने लगती सन 1917 में चंपारण आंदोलन हुआ था जब नील की खेती करवाते थे ब्रिटिश के समय में। आपको यह बता दूं नील की खेती होती है वहां तीन वर्षों तक कुछ नहीं होता ||
    पहले बिहार बंगाल का एक हिस्सा था और बंगाल के लोग ही सरकारी पदों पर बैठते थे अंग्रेजों की इसी लापरवाही का कारण 1912 में बिहार को एक अलग राज्य बना दिया गया जिसमें आज का झारखंड और उड़ीसा भी शामिल था बिहार की हालत सुधरी नहीं क्योंकि बिहार में तब भी जमींदारी व्यवस्था लागू थी।
    बिहार और झारखंड में कोयले और अयस्क 1907 में तब के बिहार और आज के झारखंड में स्टील और आयरन कंपनी शुरू करते हैं और 1930 में कोयला की मांग भी बढ़ जाती है बिहार में लगातार कंपनियां शुरू हो गई आजादी के समय चीनी का कुल खपत का उत्पादन यानी 40% अकेले बिहार करता था
    लेकिन इसके कारण कुछ बड़े लोगों को ही फायदा होता था। स्वतंत्रता के बाद भी बिहार की हालत क्यों नहीं सुधरी आखिर बिहार पिछड़ा राज्य कैसे बना चलिए बताते हैं स्वतंत्रता के बाद हमारी सबसे बड़ी समस्या थी कृषि और कृषि उपज को बढ़ाना। इसके लिए सरकार ने जमींदारी व्यवस्था को खत्म किया। इसके बाद भी बिहार में लंबे समय तक जमींदारी व्यवस्था चलती रही लेकिन बिहार को सबसे बड़ा नुकसान 1952 freight equalisation policy।  देश में औद्योगिक क्रांति को बढ़ाने के लिए इस क्रांति को लाया गया उसे समय जब बिहार में 40% चीनी का उत्पादन हो रहा था चलिए इस पॉलिसी को ठीक से जानते हैं इस पॉलिसी से आने से पहले कंपनियां महान लग रही थी जहां उन्हें अपने लिए रो मटेरियल मिल रहे थे
    आज के बिहार ,झारखंड छत्तीसगढ़ और झारखंड मैं लगने लग गई जब यह पॉलिसी आई तो सरकार ने कहा कि आप देश में कहीं भी अपनी कंपनी खोलिए और आपके रॉ मैटेरियल पर लाने में सरकार आपको सब्सिडी देगी यानी विशेष स्पष्ट था कि आप कहीं भी अपनी कंपनी खोलिए और आप ट्रेन के जरिए अपना कच्चा माल ले जाए और सरकार आपको सब्सिडी देगी और धीरे-धीरे सारी कंपनियां तटीय क्षेत्र के उधर स्थापित होने लग गई।
    पॉलिसी के कारण गुजरात बेंगलुरु जैसे बड़े-बड़े महानगर औद्योगिक क्षेत्र में आने लग गई और बिहार जैसे कच्चा माल रिसोर्स का एक जरिया बन गया और उसके बाद धीरे-धीरे राजनीति के कारण और यह किसानों के कारण यहां ज्यादा विकास नहीं हुआ 1960 से लेकर 1990 तक 30 सालों तक यहां 25 मुख्यमंत्री भी रहे। समय-समय पर अपने मुख्यमंत्री बदलते रहते थे और धीरे-धीरे बड़ी-बड़ी कंपनियां बिहार से जाने लग गई और धीरे-धीरे बिहार में जातिवाद होने लग गया। 1990 के बाद बिहार में लूट स्कैम जैसी बड़ी-बड़ी चीज होने लगी। कम जमीन के कारण किसानों को ज्यादा जानकारी नहीं होती है और ज्यादा उत्पादन भी नहीं होता था सरकार अपने प्रोजेक्ट को धीरे-धीरे पूरा करती है साल 2000 में जब झारखंड एक अलग राज्य बना और बिहार ने कच्चा सामान से संबंधित का उद्योग भी चला गया बिहार में लंबे समय तक नक्सलवाद भी चला रहा ।
    हर साल बाढ़ आती है जिसके कारण फसलों को बड़ा नुकसान होता है बिहार तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या बिहार की सबसे बड़ी समस्या है
    निष्कर्ष

    उम्मीद करता हूं हमारे द्वारा बताई गई जानकारी आपको समझ में आ गई होगी यदि आपके पास कोई सवाल है तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं या हमें ईमेल भी कर सकते हैं हमारा ईमेल पता नीचे आपको दिया गया है आपको यह आर्टिकल कैसा लगा कमेंट करके अवश्य बताएं और अधिक से अधिक लोगों को यह शेयर करें धन्यवाद

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