नमस्कार दोस्तों Best My Smart Tips Blog में आपका स्वागत है पिछले आर्टिकल में हमने आपको कुंडली का फलादेश निकलना सिखाया आज किस आर्टिकल में हम आपको शनि के प्रभाव के बारे में जानकारी देंगे की शनि किस भाव में अच्छे फल देते हैं और किस भाव में अपने ज्यादा खास फल नहीं देती हमने आपको कुंडली कैसे देखते हैं कुंडली का फलादेश सब के बारे में जानकारी देती है और आपको अन्य विषयों के ऊपर देश विदेश में क्या चल रहा है उसके ऊपर भी हम हर विषय मपर जानकारी देते रहेंगे कि अभी हम कुंडली के बारे में जानकारी आपको दे रहे हैं तो इस हफ्ते आपको कुंडली के बारे में जानकारी दी जाएगी उसके बाद आपको अन्य विषयों की जानकारी बाद में दी जाएगी इसलिए हमारी आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें अधिक से अधिक लोगों को शेयर करें
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सबसे पहले आपको पता होना चाहिए कि शनि देव किस राशि के स्वामी है और इस विषय के ऊपर नीचे हमने आपको बता रखा है आप देख सकते हैं कि शनिदेव किस राशि के स्वामी है और कितनी डिग्री के है डिग्री के बारे में हमने पिछले आर्टिकल में आपको जानकारी दी थी हम इस आर्टिकल में भी आपको जानकारी दे देंगे और 12 राशियों के बारे में जानकारी दे रखी है और उनके स्वामी भी बता रखे है साथ ही हमने इस विषय में भी जानकारी दे रखी है कि कौन ग्रह किसकी शत्रु है और कौन ग्रह कौन सी राशि शत्रु है और कौन मित्र राशियां है इसलिए पूरा आर्टिकल को अच्छे से पड़े और अधिक से अधिक लोगों को शेयर करें
शनि का प्रभाव आपके जीवन में
राशियों के नाम राशि की स्वामी
1: मेष मंगल
2: वृषभ शुक्र
3: मिथुन बुध
4: कर्क चंद्रमा
5: सिंह सूर्य
6: कन्या बुध
7: तुला शुक्र
8: वृश्चिक मंगल
9: धनु गुरू
10: मकर शनि
11: कुंभ शनि
12 :मीन शनि
अब हमने आपको नीचे मित्र राशियां बात रखी है और शत्रु राशियों के बारे में जानकारी चाहिए
मेष और वृश्चिक राशि- मेष व वृश्चिक राशि वाले लोगों की मित्रता कर्क, धनु व मीन से होती है
सिंह राशि- सिंह राशि वाले की मित्रता मेष, कर्क, वृश्चिक, धनु मीन राशि वालों से होती है। * मिथुन और कन्या राशि- मिथुन व कन्या राशि वाले लोगों की मित्रता सिंह, कर्क, धनु व मीन राशि के लोगों से होती है।
शत्रु रशिया
मेष, सिंह व धनु राशि- मेष, सिंह व धनु राशियों के कर्क, वृश्चिक और मीन राशियों से शत्रुता रहती है.
वृष, कन्या व मकर राशि- इस राशि के जातकों की मिथुन, तुला व कुंभ शत्रु रहती है
ग्रह की डिग्री
1: अगर आपका ग्रह 0- 6 c कहां है तो आपको 25% परिणाम मिलते हैं यानी आपका ग्रह बचपन की अवस्था में है
2: यदि आपका ग्रह 6 -12 c का है तो इसे बाल अवस्था कहते हैं यहां आपको 50% परिणाम देखने को मिलते हैं
3: यदि आपका ग्रह युवावस्था में है यानी 12 -18 c कहे तो आपको 100% परिणाम देखने को मिलते हैं
4 : यदि आपका ग्रह बुढ़ापे में जा रहा है यानी 18 से 24 c है तो आपको 25 % परिणाम देखने को मिलते हैं
5: यदि आपका ग्रह 24 -30 डिग्री का है 25 % परिणाम देखने को मिलती है।
6: यदि आपका ग्रह शून्य डिग्री का है तो आपको 0 परिणाम देखने को मिलते हैं
कौन सा घर किस चीज को दर्शाता है
प्रथम भाव (लग्न) = शरीर
दूसरा भाव = धन को
तीसरा भाव = भाई बहन को
चतुर्थ भाव = घर
पंचम भाव = बुद्धि को
छठा भाव = संघर्ष को
सातवां भाव= शादी को
आठवां भाव अचानक लाभ
नव भाव = भाग्य को पिता को
दसवां भाव = कर्म को
11 भाव = धन को
12 भाव = खर्च को
कैसे पता करें ग्रह उच्च के हैं या नीचे केउच्च स्थान के ग्रह
सूर्य= पहले स्थान में उच्च का माना जाता है
मंगल = दसवे स्थान में उच्च का माना जाता है
शुक्र = 12 वे स्थान में उच्च का माना जाता है
शनि= सातवें नंबर में शनि उच्च का माना जाता है
बुध= छठे स्थान में उच्च के माने जाते हैं
चंद्रमा = दूसरे स्थान में उच्च के माने जाते हैं
नीच स्थान के ग्रह
सूर्य= सातवें स्थान में नीच के माने जाते हैं
मंगल = दशम स्थान में नीच के माने जाते हैं
शुक्र = छठे स्थान में नीच के माने जाते हैं
शनि= प्रथम स्थान में नीचे के माने जाते है
बृहस्पति= दशम स्थान में नीच के माने जाते हैं
बुध= 12वे स्थान में नीचे के माने जाते हैं
चंद्रमा = आठवे स्थान में नीचे के माने जाते हैं
इस बात का आपको ध्यान रहे
कि अगर ग्रह अपनी मित्र राशि या स्वयं की राशि तो बहुत अच्छा परिणाम देंगे
लेकिन अगर शत्रु राशि में बैठे हैं तो फल अच्छे नहीं होंगे
कौन सा ग्रह कितनी डिग्री का है यह भी मायने रखता है उसी हिसाब से आपको परिणाम देखने को मिलते है
किसी एक ग्रह के कारण आप पूरी कुंडली का परिणाम नहीं सकते है उसके लिए आपको समस्त ग्रहण के बारे में जानकारी होनी चाहिए कौन कितनी डिग्री का है शत्रु राशि में तो नहीं बैठा है।
जब आप अपनी कुंडली बना रहे हो तो आपको अपनी जन्मतिथि और समय और स्थान का पता होना चाहिए और जन्म स्थान का भी आपको पता होना चाहिए
ग्रहों की स्थिति
सूर्य = अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान में दृष्टि रखता है
मंगल=अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान और चौथा स्थान और आठवां स्थान में भी अपनी दृष्टि रखते है
केतु=अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान में दृष्टि रखता है
शुक्र=अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान में दृष्टि रखता है
शनि=अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान और तीन और दसवीं स्थान में भी दृष्टि रखते हैं
बुध=अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान में दृष्टि रखता है
बृहस्पति= अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान पंचम तथा नवम स्थान को भी देखते हैं
चंद्रमा= अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान में दृष्टि रखता है
राहु=अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान में दृष्टि रखता है
शनि का प्रभाव हमारे जीवन में
इस बात का आपको ध्यान रखना है अगर शनि अपनी मित्र राशि में बैठा है जैसे की = बुध, शुक्र और राहू की राशि में बैठा है तो वह अच्छे परिणाम देगा
सूर्य चंद्रमा मंगल शनि के शत्रु है और यदि यह उनकी राशि में बैठ जाए तो फिर अच्छे परिणाम नहीं देगा ऊपर आप देख सकते हैं कि कौन सी राशि के मालिक कौन है हमने आपको बता रखा है आप देखकर पता लगा सकते हैं कौन कैसा परिणाम देगा
शनि अगर नीचे है तो अच्छे परिणाम नहीं देगा
शनि उच्च के हैं तो अच्छे परिणाम देगा
शनि कितनी डिग्री का है यह देखना जरूरी है क्योंकि उसी के हिसाब से आपको परिणाम देखने को मिलेंगे यदि शनि 0 डिग्री का है तो आपको परिणाम नहीं मिलेंगे
आज के आर्टिकल में हमारी
आज किस आर्टिकल में हमने आपको शनि के प्रभाव के बारे में बताया आगे आर्टिकल में हम सूर्य के बारे में बताएंगे और अन्य विषयों के बारे में जानकारी देंगे उम्मीद करते हमारे द्वारा बताइए की जानकारी आपको समझ में आ गई होगी अधिक जानकारी के लिए आप में कमेंट भी कर सकते हैं या हमें ईमेल करें
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