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    नक्षत्र के चरण क्या होत है।(what are the phases of the constellation)

    नमस्कार दोस्तों Best My Smart Tips Blog में आपका स्वागत है अक्सर आपने देखा होगा जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो लोग पूछते हैं उसका नक्षत्र क्या हैं । और पंडित जब कुंडली बनता है पंडित भी पूछता है उसे बच्चों की जन्म तिथि और समय क्या है और गणना करके उसे बच्चे का नक्षत्र बताता है हम नक्षत्र की कहानी क्या है इसके बारे में हम आपको बताते हैं। इसलिए आपसे निवेदन है इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें क्योंकि आपको इसके बारे में पूरी जानकारी हम नीचे दे रहे हैं

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    एक राजा थे राजा दक्ष । उनकी 27 पुत्रियां थी और उन्होंने अपनी 27 पुत्री का विवाह चंद्रमा से कर दिया राजा दक्ष की एक पुत्री का नाम था रोहिणी । जो की बहुत सुंदर थी चंद्रमा हमेशा रोहिणी के साथ रहते थे और पत्नी को वह भूल गए तो इसकी शिकायत उनकी पुत्री ने राजा दक्ष  से करी तो एक बार चंद्रमा जी से इस बारे में बात करी उसमें वह इस बात को मान गई लेकिन फिर ऐसी होने लग गया फिर उनकी पुत्री ने इसकी शिकायत करी तो गुस्से में राजा दक्षित ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि तुम्हारा सौंदर्य कम होने लग जाएगा और तुम्हारा आकर भी काम हो जाएगा। फिर उसके बाद चंद्रमा ब्रह्मा लोग गए और ब्रह्मा जी से इसके बारे में चर्चा करें तो ब्रह्म जी ने कहा कि आप की आराधना करें तो चंद्रमा जी ने शिवजी की आराधना करी । और शिवजी प्रसन्न होकर उनके सामने आई तो उन्होंने कहा की राजा दक्ष ने श्राप मुझे दे रखा है क्योंकि मैं उनकी एक ही बेटी रोहिणी प्रेम करता था जो कि मैं गलत किया । जो तब किया था चंद्रमा जी ने वह रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में आज जाना जाता है तुम महादेव ने कहा कि आपका श्राप कम कर सकता हूं लेकिन खत्म नहीं कर सकता हूं कृष्ण पक्ष में आपकी कला काम हो जाएगी और जब अमावस्या आएगी तो आपका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा शुक्ल पक्ष से आपकी कल शुरू हो जाएगी और पूर्णिमा में आपका अस्तित्व संपूर्ण आ जाएगा नक्षत्र के बारे में पूरी जानकारी हम आपको इस आर्टिकल में देने वाले हैं इसलिए हमारी इस आर्टिकल को पूरा जरूर पड़े और एक नक्षत्र किस मानव के शरीर में कैसा इफेक्ट देता है इसके बारे में भी हम बताएंगे और अभिजित नक्षत्र को क्यों नहीं गिना जाता नक्षत्र में इसके बारे में भी हम आपको बताएंगे इसलिए हमारी इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें ।

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    नक्षत्र क्या होते हैं ?

    चंद्रमा और सितारों के तालमेल को नक्षत्र कहा जाता है जिन 27 तारों के समूह से चंद्रमा गुजरता है वही अलग-अलग 27 नक्षत्र के नाम से जाने जाते हैं पूरा तारामंडल इन 27 नक्षत्र से बाटा हुआ है 27 नक्षत्र के बारे में नीचे आपको उनके नाम दिए गए हैं लेकिन 28 व नक्षत्र जो अभिजीत है उसे नक्षत्र की श्रेणी में नहीं रखा गया है क्यों ? इसके बारे में नीचे बताइए

    1: अश्विन नक्षत्र

    2: भरणी नक्षत्र

    3: कृत्तिका नक्षत्र

    4: रोहिणी नक्षत्र,

    5: मृगशिरा नक्षत्र

    6: आर्द्रा नक्षत्र

    7: पुनर्वसु नक्षत्र,

    8: पुष्य नक्षत्र,

    9: आश्लेषा नक्षत्र,

    10: मघा नक्षत्र,

    11: पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र,

    12 : उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र,

    13: हस्त नक्षत्र,

    14: चित्रा नक्षत्र,

    15: स्वाति नक्षत्र,

    16: विशाखा नक्षत्र,

    17:अनुराधा नक्षत्र,

    18:  ज्येष्ठा नक्षत्र,

    19: मूल नक्षत्र,

    20: पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र,

    21: उत्तराषाढ़ा नक्षत्र,

    22: श्रवण नक्षत्र,

    23: घनिष्ठा नक्षत्र,

    24: शतभिषा नक्षत्र,

    25: पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र,

    26: उत्तराभाद्रपद नक्षत्र,

    27: रेवती नक्षत्र।

    इन 27 नक्षत्र को तीन भागों में बांटा गया है शुभ नक्षत्र अशुभ नक्षत्र और मध्य नक्षत्र ।

    शुभ नक्षत्र कौन-कौन से हैं

    यदि कोई भी शुभ कार्य आपको करना होता है तो आप शुभ नक्षत्र में करते हैं ताकि उसका फल भी आपको अच्छा मिले शुभ नक्षत्र जो है उनके बारे में नीचे आपको जानकारी दी गई है

    रोहिणी,

    अश्विन,

    मृगशिरा,

    पुष्य, हस्त,

    चित्रा,

    रेवती,

    श्रवण,

    स्वाति,

    अनुराधा

    उत्तराभाद्रपद,

    उत्तराषाढा,

    उत्तरा फाल्गुनी,

    घनिष्ठा, पुनर्वसु।

    अशुभ नक्षत्र क्या होते हैं

    जिम किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं किया जाता वह अशुभ नक्षत्र है  अशुभ नक्षत्र के बारे में नीचे आपको जानकारी दी गई है

    भरणी,

    कृतिका,

    मघा

    आश्लेषा।

    मध्य नक्षत्र क्या होते हैं

    जिन नक्षत्र को ज्यादा शुभ भी नहीं माना जाता और ज्यादा अशुभ भी नहीं माना जाता  है यानी आप अपना काम कर सकते हैं कोई ज्यादा नुकसान नहीं होगा मध्य नक्षत्र के नाम नीचे आपको दिए गए

    पूर्वा फाल्गुनी,

    पूर्वाषाढ़ा,

    ।पूर्वाभाद्रपद,

    विशाखा, ज्येष्ठा,

    आर्द्रा,

    मूला

    शतभिषा

    अभिजित नक्षत्र  की श्रेणी में क्यों नहीं आता हैं ?

    आप कई लोगों का सवाल होगा की अभिजित नक्षत्र को क्यों नहीं रखते नक्षत्र की श्रेणी में । तो इसका जवाब है जब महाभारत का युद्ध हो रहा था उसे समय श्री कृष्ण जी ने इस नक्षत्र को नक्षत्र की श्रेणी से हटा दिया था क्योंकि गौरव अभिजित नक्षत्र में युद्ध शुरू करने वाले थे ऐसा होता तो गौरव जीत जाते । इसलिए अभिजीत नक्षत्र को  नक्षत्र की श्रेणी से हटा दिया क्योंकि अभिजित नक्षत्र जो की 28 वाॅ नक्षत्र है क्योंकि बहुत ही शुभ होता है और बहुत ही कम समय के लिए आता है।

    नक्षत्र के चरण क्या होते हैं

    हमारा सौरमंडल ज्योतिष के अनुसार 360 डिग्री का होता है 360 डिग्री के 12 भाग किए होते हैं और यह 12 राशियां होती है इन राशियों के भी कुछ भाग होते हैं जो नक्षत्र होते हैं
    राशि =12
    नक्षत्र =27
    एक नक्षत्र में चार चरण होते हैं
    चरण = 27×4 = 108
    एक राशि में 9 चरण ही आएंगे
    एक राशि की डिग्री निकालने लिए
    360÷12 =30
    एक नक्षत्र की डिग्री निकालने के लिए
    360÷27 = 13
    एक चरण की डिग्री निकालने के लिए
    360÷108 =
    ज्योतिष में डिग्री को अंश कहते हैं
    मिनट को कला कहा जाता है
    सेकंड को विकल कहा जाता है
    एक डिग्री 60 मिनट की होती है

    नक्षत्र मानव के जीवन में क्या भूमिका निभाते हैं

    जब पंडित जन्म कुंडली बनता है तो उसे वक्त ग्रहों के साथ नक्षत्र को भी देखा जाता है कुंडली दो प्रकार की होती है फलित कुंडली और गणित कुंडली । फलित ज्योतिष का मतलब है करूंगा आपको क्या फल दे रहे हैं और गणित ज्योतिष का मतलब है कितनी डिग्री में ग्रह आपकी कुंडली में विद्यमान है वैसे ही कुंडली में नक्षत्र भी आते हैं अगर आप सुख नक्षत्र में कोई काम कर रहे हैं तो उसका शुभ फल मिलता है और अगर आपका नक्षत्र पता चल जाए तो उसे नक्षत्र से आपके जीवन में क्या प्रभाव पड़ेगा इसके बारे में भी बता दिया जाता है हमारे वेदों में इन विषयों के बारे में पहले ही चर्चा हो चुकी है अगर आपको आपका नक्षत्र नहीं पता तो आप किसी पंडित को अपनी जन्मतिथि बढ़कर और समय बात कर आप अपना नक्षत्र पता लगा सकते हैं एक तरीके से नक्षत्र के बारे में आपको मैं बताऊं सितारों और तारों के मेल को नक्षत्र कहते हैं बात को याद रखेगा तारों का खुद का प्रकाश है जो तारे चमकते हैं और आकाश में एक कला बना रहे हैं

    वह आपकी राशि होगी 12 रशि है और नक्षत्र जो कल आकाश में बनाते हैं वह आपकी राशि का चित्र होता है जैसे की मीन राशि की मछली तो इसका मतलब है जब कोई व्यक्ति ने जन्म लिया होगा उसे समय आकाश में मीन राशि यानी मछली का चित्र बना रहे होंगे नक्षत्र यानी तारे । तो तारे जो मिलकर जो चित्र बना रहे हैं मछली का वह उसकी राशि होगी यानी मीन राशि  होगी।

    निष्कर्ष

    आज किस आर्टिकल में हमने आपको नक्षत्र के बारे में जानकारी दी यदि आपके पास कोई सवाल है ज्योतिष के बारे में किसी भी विषय के ऊपर जानकारी प्राप्त करने के लिए अधिक जानकारी के लिए हमें आप ईमेल भी करें

    Mysmarttips.in@gmail.com

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