ग्रहों की दृष्टि का प्रभाव क्या होता है।(What is the effect of planetary vision)

नमस्कार दोस्तों Best My Smart Tips Blog में आपका स्वागत है पिछले आर्टिकल में हमने आपको बताया लग्न क्या होता है और नक्षत्र के बारे में भी आपको जानकारी देती है आज हम आपको ग्रहों की दृष्टि क्या होती है और कैसे उनके प्रभाव रहते हैं क्योंकि हर ग्रह की दृष्टि अलग-अलग होती है और जिस घर को ग्रह देखते हैं उसी में अपना प्रभाव भी देते हैं यदि आपको इस विषय के ऊपर संपूर्ण जानकारी चाहिए तो हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें और अधिक स्थिति के लोगों को शेयर करें यदि आपको खुद की कुंडली बनानी है तो अपनी जन्मतिथि हमें शेयर करें हम आप तक संपर्क करेंगे।

ग्रहों की दृष्टि का प्रभाव क्या होता है

ग्रहों की दृष्टि का प्रभाव क्या होता है

सभी ग्रह अपने स्थान से 7 स्थान देखते हैं लेकिन कुछ ऐसी भी ग्रह है जो अपना प्रभाव दूसरे स्थान में भी देते हैं उनके बारे में नीचे बता रखा है इस बात का आपको याद रहे की ग्रह जिस स्थान पर बैठा हुआ है उसे घर का तो परिणाम आपको देगा ही ।

और जिस स्थान पर उसकी दृष्टि पड़ रही है उसे स्थान का भी आपको फल देगा लेकिन इस बात को आपको याद रखना होगा कि ग्रह कितना डिग्री का है कहीं वह ग्रह नीच तो नहीं अगर ऐसा है तो उसके परिणाम आपको नहीं मिलते।

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ग्रहों की स्थिति

सूर्य = अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान में दृष्टि रखता है

मंगल=अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान और चौथा स्थान और आठवां स्थान में भी अपनी दृष्टि रखते हैं

केतु=अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान में दृष्टि रखता है

शुक्र=अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान में दृष्टि रखता है

शनि=अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान और तीन और दसवीं स्थान में भी दृष्टि रखते हैं

बुध=अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान में दृष्टि रखता है

 बृहस्पति= अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान पंचम तथा नवम स्थान को भी देखते हैं 

चंद्रमा= अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान में दृष्टि रखता है

 राहु=अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान में दृष्टि रखता है

कैसे पता करें ग्रह उच्च के हैं या नीचे के

उच्च स्थान के ग्रह

सूर्य= पहले स्थान में उच्च का माना जाता है

मंगल = दसवे स्थान में उच्च का माना जाता है

 शुक्र = 12 वे  स्थान में उच्च का माना जाता है

शनि= सातवें नंबर में शनि उच्च का माना जाता है

बुध= छठे स्थान में उच्च के माने जाते हैं

चंद्रमा = दूसरे स्थान में उच्च के माने जाते हैं

नीच स्थान के ग्रह 

सूर्य= सातवें स्थान में नीच के माने जाते हैं

मंगल = दशम स्थान में नीच के माने जाते हैं

 शुक्र =  छठे  स्थान में नीच के माने जाते हैं

शनि= प्रथम स्थान में नीचे के माने जाते है

 बृहस्पति= दशम स्थान में नीच के माने जाते हैं

बुध= 12वे स्थान में नीचे के माने जाते हैं

चंद्रमा = आठवे स्थान में नीचे के माने जाते हैं

इस बात का आपको ध्यान रहे

कि अगर ग्रह अपनी मित्र राशि या स्वयं की राशि तो बहुत अच्छा परिणाम देंगे

लेकिन अगर शत्रु राशि में बैठे हैं तो फल अच्छे नहीं होंगे

कौन सा ग्रह कितनी डिग्री का है यह भी मायने रखता है उसी हिसाब से आपको परिणाम देखने को मिलते हैं

किसी एक ग्रह के कारण आप पूरी कुंडली का परिणाम नहीं  सकते है उसके लिए आपको समस्त ग्रहण के बारे में जानकारी होनी चाहिए कौन कितनी डिग्री का है शत्रु राशि में तो नहीं बैठा है। 

जब आप अपनी कुंडली बना रहे हो तो आपको अपनी जन्मतिथि और समय और स्थान का पता होना चाहिए और जन्म स्थान का भी आपको पता होना चाहिए

आज के आर्टिकल पर हमारी राय

पिछले आर्टिकल में हमने ग्रहों के बारे में जानकारी दीजिए कि घरों की कौन सी राशि होती है उनके मित्र राशि कौन सी है और शत्रु राशि कौन सी है आज का आर्टिकल में हमने आपको अन्य विषयों के ऊपर जानकारी दी उम्मीद करते हमारे द्वारा बताई गई जानकारी आपको समझ में आ गई होगी अधिक जानकारी के लिए आप हमें कमेंट भी कर सकते हैं या हमें ईमेल करके भी किसी विषय के ऊपर जानकारी चाहिए तो ईमेल कर सकते हैं

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