नमस्कार दोस्तों । Best My Smart Tips Blog में आपका स्वागत हैं भारत एक ऐसा देश है जहां अलग-अलग भाषाएं अलग अलग संस्कृति अलग अलग परंपराएं हैं जहां सब मिलजुल के रहते हैं चावल उत्पादित करने में हो या गेहूं उत्पादित करने में हो हम विश्व स्तर पर अपनी एक अलग पहचान दर्शाते हैं भारत के 28 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश देश को विश्व स्तर पर हमारी एक अलग पहचान देते हैं जब कोविद-19 का समय था तो हमने देखा कि उसमें पूरा विश्व घबरा गया था लेकिन भारत एक ऐसा देश जिसने धैर्य और सतर्कता के साथ इस समय से लड़ा यूपी-बिहार राजस्थान झारखंड छत्तीसगढ़ हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड जैसे कई राज्य अपनी संस्कृति के प्रति और सतर्क है और देश के विकास के लिए अपना एक अहम योगदान देते हैं
आज हम एक ऐसे राज्य के ऊपर बात करने जा रहे हैं जिसे देवभूमि कहते हैं आप समझ गए होंगे देवभूमि किसे कहते हैं देवभूमि दो राज्यों को कहते हैं हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड। हम हिमाचल प्रदेश के ऊपर बात नहीं कर रहे हैं हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के ऊपर। उत्तराखंड राज्य को 9 नवंबर 2000 को बनाया गया बड़े ही संघर्ष के साथ हमारे महापुरुष ने इस राज्य को बनाया आने के लिए शहीद हुए हम उन्हे भूल गए हैं जब इस राज्य को बढ़ाने के बारे में हमारे महापुरूषों ने संघर्ष किया था तो उसे समय कई नेता अभिनेता इसका विरोध कर रहे थे मैं कोई राजनीति नहीं कर रहा जो सत्य है वह बता रहा जो सत्य है वह बता रहा हूं मुझे याद है जब तिवारी जी ने कहा था कि उत्तराखंड मेरी लाश के ऊपर बनेगा कई लोगों को बुरा लग सकता है जो उखाड़ना है उखाड़ लीजिए ।
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पहले उत्तराखंड का नाम उत्तरांचल हुआ करता था बाद में इसका नाम उत्तराखंड में परिवर्तन कर दिया गया आज हम बात करेंगे उत्तराखंड मांगे वो कानून के ऊपर संपूर्ण जानकारी चाहिए इसलिए हमारी को पूरा जरूर पढ़ें और अधिक से अधिक लोगों को शेयर करें
उत्तराखंड भू कानून क्या है
उत्तराखंड राज्य देवभूमि है यहां की संस्कृति यहां की परंपरा बहुमूल्य है उत्तराखंड में दो मंडल हैं कुमाऊं मंडल और गढ़वाल मंडल । साल 2002 में सरकार के द्वारा एक प्रावधान किया गया था कोई भी बाहरी व्यक्ति उत्तराखंड में 500 वर्ग मीटर तक जमीन खरीद सकता है अगर कोई व्यक्ति अधिक मात्रा में खरीदना चाहता है तो वह कानूनी कार्रवाई करेगा साल 2007 में 250 क मी इस इस प्रावधान को कर दिया गया फिर साल 2018 त्रिवेंद्र सरकार बिल लायी थी जिसमें मैंने कहा था कोई भी भारी व्यक्ति जितनी चाहे उतनी जमीन खरीद सकता है उसके लिए कोई भी लिमिट नहीं गयी और यहां की कृषि योग्य जमीन कोई भी खरीद सकता था जिससे यहां की संस्कृति और यहां की परंपरा में खतरा बन गया
हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री श्री यशवंत जी ने एक विषय पर विचार किया हिमाचल प्रदेश का कोई भी व्यक्ति किसी बाहरी व्यक्ति को जमीन ना दे इसलिए 1972 एक बिल लाये थे और कोई भी व्यक्ति उस बिल के लागू होते ही हिमाचल प्रदेश में जमीन नहीं खरीद सकता था और वहां की संस्कृति और सभ्यता अखंडित ना हो इसलिए इस बिल लाया गया हिमाचल प्रदेश में इस कानून को इसलिए लाया गया था ताकि वहां का व्यक्ति बाहर न जाए उसे उसके प्रदेश में ही रोजगार मिल सके इसलिए उत्तराखंड में भी इस कानून की जरूरत है ताकि यहां का व्यक्ति बाहर न जाए और यहां की संस्कृति सभ्यता पीढ़ी दर पीढ़ी चलती जाए।
मूल निवास कानून 1950 क्या है
मूल कानून 1950 का मतलब है जो भी व्यक्ति 1950 से उत्तराखंड में रहता है वह यहां का मूल निवासी है और उत्तराखंड में किसी भी तो उसे व्यक्ति को मूल निवास 1950 के तहत नौकरी में छूट दी जाए
हमारी राय इस आर्टिकल में
अपनी संस्कृति और अपनी सभ्यता का प्रति जागरूक रहें और आपको हमारे यहां निकल कैसा लगा कमेंट करके अवश्य बताएं अधिक से अधिक लोगों को शेयर करें ताकि हर किसी को एक विषय के ऊपर जानकारी मिल सके और लोग अपनी संस्कृति और धर्म के बारे में जानकारी मिल सके
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